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दिल्ली की तीसरी महिला CM बनीं आतिशी, LG ने दिलाई शपथ, इन विधायकों ने ली मंत्री पद की शपथ

नई दिल्ली। आतिशी ने दिल्ली के 12वीं मुख्यमंत्री के रूप में राजनिवास में शपथ ली। इस दौरान मौके पर उनके मां त्रिप्ता वाही और पिता विजय सिंह भी मौजूद रहे। आतिशी तीसरी महिला हैं, जो दिल्ली की मुख्यमंत्री बनी हैं। इससे पहले भाजपा की सुषमा स्वराज और कांग्रेस की शीला दीक्षित मुख्यमंत्री रही हैं।

अरविंद केजरीवाल के इस्तीफा देने के बाद आतिशी को आप विधायक दल का नेता चुना गया था। इसके बाद केजरीवाल ने उपराज्यपाल को इस्तीफा सौंपने के साथ ही 17 सितंबर को आतिशी का नाम मुख्यमंत्री पद के रूप में प्रस्ताव दिया था।

दिल्ली में अरविंद केजरीवाल के बाद अब आतिशी का राज शुरू हो गया है। आतिशी ने दिल्ली की सीएम पद की शपथ ले ली है। दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने उन्हें आज राज निवास में सीएम पद की गोपनीयता की शपथ दिलाई है। आतिशी अरविंद केजरीवाल की सबसे करीबी नेता मानी जाती हैं, जिन्हें केजरीवाल ने भरोसे के साथ चुनाव से ठीक पहले अपनी सीएम की कुर्सी दी है। आतिशी की कैबिनेट में 5 मंत्री शामिल हैं, जिन्होंने आतिशी के साथ ही मंत्री पद की शपथ ली है।

सीएम आतिशी संग इन विधायकों ने ली मंत्री पद की शपथ
राज निवास में आतिशी ने सबसे पहले मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने उन्हें सीएम पद की शपथ दिलाई है। उसके बाद सौरभ भारद्वाज ने मंत्री पद की शपथ ली है। इसके बाद विधायक गोपाल राय ने मंत्री पद की शपथ ली है। इसके बाद चौथे नंबर पर कैलाश गहलोत ने मंत्री पद की शपथ ली। पांचवें नंबर पर इमरान हुसैन ने मंत्री पद की शपथ ली।

इन विधायकों ने ली मंत्री पद की शपथ
1. मुख्यमंत्री – आतिशी (नया चेहरा)
2. मंत्री – सौरभ भारद्वाज
3. मंत्री – गोपाल राय
4. मंत्री –  कैलाश गहलोत
5. मंत्री –  इमरान हुसैन
6. मंत्री – मुकेश कुमार अहलावत (नया चेहरा)

दिल्ली के मुख्यमंत्री पद की उम्मीदवार आतिशी और आप नेताओं को शपथ ग्रहण समारोह से पहले पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल के साथ मंत्री पद की शपथ से पहले एक साथ नजर आए।

दिलीप पांडे का भाजपा पर तंज
दिल्ली मंत्री दिलीप पांडे ने कहा कि पूरी दिल्ली और देश ने देखा कि कैसे भाजपा ने आम आदमी पार्टी को तोड़ने के इरादे से ईडी, सीबीआई जैसी संवैधानिक संस्थाओं का दुरुपयोग करके आम आदमी पार्टी के नेताओं को गिरफ्तार किया। भाजपा ने दिल्ली की जनता से बदला लेने का फैसला किया था, क्योंकि उसने उन्हें तीन बार नकार दिया था।

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