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Study: दिमाग और खोपड़ी के बीच होती हैं रहस्यमयी सुरंगें, जानिए क्या करती हैं काम

मानव शरीर देखने में तो साधारण लगता है, लेकिन इसके बारे में जानकर आपको हैरानी होगी। माना जाता है कि मानव शरीर की संरचना ईश्वर ने की है, जिसके मुकाबला अभी तक कोई नहीं कर पाया है। आज भी वैज्ञानिक मानव शरीर को लेकर हैरान हैं, कि आखिर मानव शरीर में इतना सब कैसे है? आज हम आपको इंसानी दिमाग के बारे में एक रोचक तथ्य बताने जा रहे हैं, जिसके बारे में शायद ही आपको मालूम होगा। दरअसल, आपके दिमाग के अंदर गुप्त सुरंगें होती हैं। इनकी खोज साल 2018 में चूहों और इंसानों में की गई थी। वहीं इनका सही काम अब खोजा गया है। ये गुप्त सुरंगें दिमाग को खोपड़ी से जोड़ती हैं और संदेशों का आदान-प्रदान करती हैं। वैज्ञानिकों के मुताबिक दिमाग में मौजूद ये सुरंगें प्रतिरोधक कोशिकाओं (इम्यून सेल्स), अस्थि मज्जा की आवाजाही को आसान बनाती हैं। इनकी वजह से दिमाग से शरीर के अन्य हिस्सों तक आपदा की स्थिति में जरूरी रसायन पहुंचता है।

इससे पहले माना जाता था कि खोपड़ी में प्रतिरोधक कोशिकाएं खून के बहाव के साथ जाती-आती हैं। लेकिन अब पता चला कि असल में ये गुप्त सुरंगें रसायनों के पहुंचने का शॉर्टकट हैं। दरअसल, दिमाग में जो प्रतिरोधक कोशिकाएं जाती हैं, उन्हें न्यूट्रोफिल्स कहा जाता है। ये चोट लगने या शरीर में किसी तरह का आघात होने पर सबसे पहले प्रतिक्रिया देता है।

जब भी शरीर में कहीं कुछ गलत होता है, तो सबसे पहले न्यूट्रोफिल्स पहुंचकर सूजन या दर्द को खत्म करने का प्रयास करते हैं। वैज्ञानिकों ने इनमें से कुछ कोशिकाओं को फ्लोरोसेंट रंग में रंग दिया, जिसके जरिए उन्हें देखा जा सके। 

ऐसे में ये पता चला कि ये कोशिकाएं गुप्त सुरंगों से होते हुए आती-जाती हैं और इस तरह से इस बात की पुष्टी हुई कि दिमाग के अंदर गुप्त सुरंगें भी होती हैं। 

अनुसंधान के दौरान जब ये कोशिकाएं अपनी तय जगह पर पहुंच गईं तब वैज्ञानिकों ने कई तरह के सूजन, दर्द, स्ट्रोक और रासायनिक तरीके से विकसित मेन्जियो इंसेफेलाइटिस की स्थिति पैदा की, लेकिन न्यूट्रोफिल्स ने हर परिस्थिति में गुप्त सुरंगों का रास्ता लेकर अपना काम पूरा किया। 

इससे ये बात साफ हो गई कि दिमाग ने संदेशों का आदान-प्रदान इन गुप्त सुरंगों के जरिए किया है। इसके साथ ही दिमाग से खोपड़ी की तरफ होते न्यूट्रोफिल्स इसी रास्ते से होते हुए शरीर के अन्य हिस्सों में भी गए। 

ये गुप्त सुरंग बेहद नायाब हैं। इन गुप्त सुरंगों का नेटवर्क हमारे दिमाग में पांच गुना फैली हुई हैं। ये दिमाग के ऊपर और खोपड़ी के नीचे दो तीन परतों में फैली होती हैं। इसकी स्टडी जर्नल में प्रकाशित हुई थी, जिसमें इन गुप्त सुरंगों का जिक्र किया गया है। 

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