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कंझावला कांड: गवर्नर शर्मसार तो फिर दिल्ली पुलिस कमिश्नर खामोश क्यों

दिल्ली: कई किलोमीटर तक हिंदुस्तान की राजधानी दिल्ली की सड़कों पर कार से लड़की को घसीटा जाता रहा। दिल्ली पुलिस कंट्रोल रूम की जिप्सियां गश्त करती रहीं। थाने-चौकी की पुलिस सड़कों पर नाके लगाकर ‘चेकिंग’ भी करती रही। दिलदहला देने वाली घटना सामने आने से दिल्ली के लेफ्टिनेंट गवर्नर विनय कुमार सक्सेना शर्मसार महसूस कर रहे हैं। यह बात घटना के संज्ञान में आने के बाद उप-राज्यपाल ने खुद अपने एक बयान में मानी है।

इसके बाद भी दिल्ली के पुलिस कमिश्नर संजय अरोरा जिन्हें हिंदुस्तानी हुकूमत ने चंद महीने पहले ही उनका तमिलनाडु कैडर बदलकर रातों-रात वहां से दिल्ली में पुलिस कमिश्नर की कुर्सी पर लाकर सजाया था वे पुलिस कमिश्नर संजय अरोरा इस शर्मनाक घटना पर एकदम खामोश हैं।

आखिर क्यों? अगर इस शर्मनाक रूह कंपाते कांड में कहीं दिल्ली पुलिस की गर्दन नहीं फंस रही है तो दिल्ली पुलिस कमिश्नर के दिल-ओ-जेहन से वे तमाम संवेदनाएं मर चुकी हैं जो एक इंसान के दिल-ओ-जेहन में होती हैं। या फिर इस कांड में बेनकाब हो चुकी दिल्ली पुलिस की हो रही छीछालेदर के चलते दिल्ली पुलिस कमिश्नर ने खामोशी अख्तियार कर लेने में ही खाकी और अपने मातहतों की भलाई समझी है।

यह सोचकर-समझकर कि कंझावला कांड को लेकर वे (दिल्ली पुलिस कमिश्नर संजय अरोरा) जितनी सफाई देंगे उतनी ही ज्यादा दिल्ली पुलिस की तौहीन होना तय है। क्योंकि सच जमाने के सामने है कि हत्यारे कई किलोमीटर तक लाश को दिल्ली की सड़कों पर कार में फंसा कर इधर से उधर घसीटते रहे। जबकि सड़कों पर मौजूद दिल्ली पुलिस कथित रूप से ही सही मगर सोती रही। इसमें कोई संदेह बाकी नहीं रहा है। अगर दिल्ली पुलिस हकीकत में घटना वाली रात सड़कों पर मुस्तैद होती तो भला क्यों कैसे किसी लड़की की लाश को कातिल कई किलोमीटर कार के बोनट में फांसे-फांसे ही इधर से उधर आधी रात के वक्त दिल्ली की सड़कों पर भागता रहता? और क्यों दिल्ली के लेफ्टिनेंट गवर्नर विनय कुमार सक्सेना को जमाने के सामने आकर बयान देने को मजबूर होना पड़ता कि यह वीभत्स घटना है। इसको अंजाम देने वाले राक्षसी प्रवृत्ति के हैं। उन्हें उनके किए की सजा मिलेगी।

इस सनसनीखेज कांड पर उप-राज्यपाल के मर्माहत बयान के बावजूद दिल्ली पुलिस कमिश्नर ने सोमवार दोपहर बाद तक मगर कोई अधिकृत बयान देना मुनासिब नहीं समझा। न ही अधिकृत रूप से यह बताना सही समझा कि आखिर सड़क पर मौजूद उनकी पुलिस की वो कौन सी वजह रही जिसके चलते कार के बोनट में फांस कर लाश को इधर से उधर घसीटते रहने वाले कातिलों पर आखिर उनकी गश्ती पुलिस की पैनी नजर पड़ने से चूक कैसे गई?

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