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पंचमी का श्राद्ध क्यों कहलाता है कुंवारा पंचमी? जानें पूजा विधि और महत्व

पितृपक्ष आरंभ हो चुका है। इस साल पितृपक्ष 10 सितंबर से आरंभ हुआ और यह 25 सितंबर तक रहने वाला है। पितृपक्ष में तिथि अनुसार श्राद्ध करते हैं। ब्रह्मपुराण की मानें तो मनुष्य को सर्वप्रथम अपने पूर्वजों की पूजा करनी चाहिए। ऐसा माना जाता है कि इससे देवता प्रसन्न होते हैं। इसी वजह से भारतीय समाज में बड़ों का सम्मान और मरणोपरांत पूजा की जाती है। जिसे हम श्राद्ध कहते हैं। आश्विन पंचमी के दिन पंचमी श्राद्ध होता है। इस श्राद्ध को पंचमी श्राद्ध के अलावा कुंवारा पंचमी श्राद्ध भी कहते हैं। इस दिन उन लोगों का श्राद्ध होता है, जिनकी मृत्यु पंचमी के दिन हो गई हो या जिनकी मौत अविवाहित रहते हुए हो गई हो। कुंवारा पंचमी पर राहुकाल को छोड़कर किसी भी समय पिंडदान किया जा सकता है। इस साल कुंवारा पंचमी बुधवार, 14 सितंबर को है। आइए कुंवारा पंचमी पर श्राद्ध करने की विधि के बारे में जानते हैं।

कुंवारा पंचमी श्राद्ध की विधि 

  • पंचमी श्राद्ध के दिन सुबह उठकर स्नान कर देव स्थान व पितृ स्थान को गाय के गोबर से लीपें। 
  • इसके बाद उस स्थान को गंगाजल से पवित्र करें और घर के आंगन में रंगोली बनाएं। 
  • महिलाएं स्नानादि करके पितरों के लिए भोजन बनाएं, हो सके तो खीर जरूर बनाएं। 
  • कुंवारा पंचमी पर अविवाहित ब्राह्मण को न्योता दें। 
  • अविवाहित ब्राह्मण से ही पितरों की पूजा एवं तर्पण करवाएं। 
  • यदि आपकी कोई विवाहित बहन है तो उसके परिवार को भोजन के लिए आमंत्रित करें। 
  • पितरों के लिए अग्नि में खीर अर्पित करें। 
  • इसके बाद गाय, कुत्ता, कौआ व अतिथि के लिए भोजन से चार ग्रास अलग से निकालें।
  • इन सबके बाद ब्राह्मण को आदरपूर्वक भोजन कराएं। 
  • इसके बाद वस्त्र, दक्षिणा दान करें।  ऐसा करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है।
  • पितरों के लिए अग्नि में खीर अर्पित करें। 
  • इसके बाद गाय, कुत्ता, कौआ व अतिथि के लिए भोजन से चार ग्रास अलग से निकालें।
  • इन सबके बाद ब्राह्मण को आदरपूर्वक भोजन कराएं। 
  • इसके बाद वस्त्र, दक्षिणा दान करें।  ऐसा करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है।
  • अग्नि में खीर अर्पित करें। 
  • इसके बाद गाय, कुत्ता, कौआ व अतिथि के लिए भोजन से चार ग्रास अलग से निकालें।
  • इन सबके बाद ब्राह्मण को आदरपूर्वक भोजन कराएं। 
  • इसके बाद वस्त्र, दक्षिणा दान करें।  ऐसा करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है।

पंचमी श्राद्ध पर न करें ये कार्य 

  • कुंवारा पंचमी पर नियम पूर्वक तर्पण और पिंड दान तो करना चाहिए लेकिन कुछ खास बातों का ध्यान रखना भी आवश्यक है। 
  • कुंवारा पंचमी के दिन प्याज, लहसुन, बासी खाना, सफेद तिल, लौकी, सत्तू, काला नमक, मसूर की दाल, सरसों का साग, चना या मांस खाना वर्जित माना गया है। 
  • शास्त्रों के अनुसार तामसिक भोजन करने से से पितृ नाराज हो जाते हैं। 
  • पंचमी श्राद्ध के  दिन शुभ या मांगलिक कार्य भी प्रतिबंधित होते हैं। 
  • कुंवारा पंचमी पर झूठ बोलने से बचें और दूसरों का अपमान भी ना करें।

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