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ज्ञानवापी मामले में आज होगी सुनवाई

वाराणसी: ज्ञानवापी परिसर में मां शृंगार गौरी के दैनिक पूजा-अर्चना की इजाजत देने और अन्य देवी-देवताओं को संरक्षित करने को लेकर दायर वाद की सोमवार को जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेस की अदालत में सुनवाई होगी। जिला जज की अदालत में नागरिक प्रक्रिया संहिता (सीपीसी) के आदेश 7 नियम 11 के तहत वाद की पोषणीयता पर पहले सुनवाई होगी।

ज्ञानवापी मामले में सोमवार को जिला जज की अदालत में सुनवाई होगी। जिला जज की अदालत में सुनवाई का आदेश सुप्रीम कोर्ट ने दिया है। इस मामले में अदालत को आठ सप्ताह में सुनवाई करने का निर्देश दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अब सबकी निगाहें जिला जज की अदालत में होने वाली सुनवाई पर टिकी हैं।

ज्ञानवापी परिसर में मां शृंगार गौरी के दैनिक पूजा-अर्चना की इजाजत देने और अन्य देवी-देवताओं को संरक्षित करने को लेकर दायर वाद की सोमवार को जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेस की अदालत में सुनवाई होगी। जिला जज की अदालत में नागरिक प्रक्रिया संहिता (सीपीसी) के आदेश 7 नियम 11 के तहत वाद की पोषणीयता पर पहले सुनवाई होगी।

सुप्रीम कोर्ट ने जिला जज की अदालत में स्थानांतरित किया केससुप्रीम कोर्ट ने मंदिर पक्ष के मुकदमे की योग्यता पर सवाल उठाने वाली मस्जिद पक्ष की दाखिल अर्जी पर प्राथमिकता के आधार पर सुनवाई करने का जिला जज को आदेश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने 20 मई को सुनवाई करते हुए मामले की जटिलता और संवेदनशीलता को देखते हुए इसकी सुनवाई सिविल जज (सीनियर डिवीजन) की अदालत से जिला जज की अदालत में स्थानांतरित कर दिया था।शृंगार गौरी के नियमित दर्शन-पूजन के लिए दायर हुआ था वाद बीते 18 अगस्त 2021 को नई दिल्ली निवासिनी राखी सिंह एवं बनारस की चार महिलाओं लक्ष्मी देवी, रेखा पाठक, मंजू व्यास और सीता साहू ने ज्ञानवापी परिसर स्थित मां शृंगार गौरी की प्रतिदिन पूजा-अर्चना करने एवं परिसर स्थित अन्य देवी-देवताओं की विग्रहों को सुरक्षित रखने की मांग करते हुए सिविल जज (सीनियर डिवीजन) रवि कुमार दिवाकर की अदालत में वाद दायर किया था। वादी पक्ष की अपील पर सुनवाई करते हुए अदालत ने मौके की वस्तुस्थिति जानने के लिए वकील कमिश्नर नियुक्त करने का आदेश जारी कर दिया।

मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में दायर की याचिका इस आदेश के खिलाफ मुस्लिम पक्ष (अंजुमन इंतजामिया मसाजिद) की ओर से दायर याचिका को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया। हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ मुस्लिम पक्ष के वकील ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर किया और पूजा स्थल (विशेष प्रविधान) अधिनियम 1991 के उपबंधों का हवाला देते हुए ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में पूजा-अर्चना का अधिकार मांगने वाली महिलाओं की याचिका पर सवाल उठाए। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए कहा कि धार्मिक स्थल के स्वरूप का पता लगाना कानून में प्रतिबंधित नहीं है। पूजा स्थल (विशेष प्रविधान) कानून 1991 किसी धार्मिक स्थल के धार्मिक स्वरूप पता लगाने पर रोक नहीं लगाता।

ज्ञानवापी परिसर के दक्षिणी तहखाने का ताला आज भी व्यास परिवार की चाभी से ही खुलता है। व्यास परिवार की तीसरी पीढ़ी के सदस्य शैलेंद्र कुमार पाठक व्यास ने दावा किया है कि उनके नाना ने उनके नाम से तहखाने की वसीयत की थी। ऐसे में शृंगार गौरी की पूजा और वजूखाने में मिले शिवलिंग की पूजा का अधिकार उनको ही मिलना चाहिए। उन्होंने बताया कि तीन पीढ़ियों से उनका परिवार शृंगार गौरी की पूजा करता आ रहा है।

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