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गोवर्धन पूजा कल, जानिए इस दिन भगवान कृष्ण को क्यों लगाए जाते हैं 56 प्रकार के भोग

नई दिल्ली: इस साल 14 नवंबर को गोवर्धन पूजा है। इसे अन्नकूट के नाम से भी जाना जाता है। पंचांग के अनुसार इस  साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 13 नवंबर, दिन सोमवार को दोपहर 02 बजकर 56 मिनट से शुरू होकर अगले दिन 14 नवंबर दिन मंगलवार को दोपहर 02 बजकर 36 मिनट तक है। हिंदू धर्म में उदया तिथि को विशेष महत्व दिया जाता है, इसलिए गोवर्धन पूजा का पर्व 14 नवंबर को मनाया जा रहा है। ब्रज से शुरू हुई गोवर्धन पूजा पूरे देश में उत्सव की तरह मनाई जाती है। गोवर्धन पूजा के दिन भक्त भगवान श्री कृष्ण की पूजा करते हैं और उनसे प्रार्थना करते हैं कि वे उन्हें संकटों से उबारें। इस दिन भगवान कृष्ण को 56 भोग लगाया जाता है। ऐसे में चलिए जानते हैं इस दिन श्री कृष्ण को 56 भोग क्यों लगाए जाते हैं…

गोवर्धन पूजा की पौराणिक कथा
मान्यताओं के अनुसार पहले सभी ब्रजवासी इंद्र की पूजा करते थे। भगवान श्री कृष्ण के कहने पर सभी ब्रजवासियों ने गोवर्धन की पूजा करनी प्रारंभ कर दी, जिसके कारण इंद्रदेव क्रोधित हो गए और ब्रज में घनघोर वर्षा प्रारंभ करा दी। चारों ओर तबाही मचने लगी। ये सब देखकर भगवान श्री कृष्ण ने सबकी रक्षा करने के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठा लिया।

सभी ब्रजवासियों ने अपने परिवार और पशुओं के साथ गोवर्धन पर्वत के नीचे शरण ली। सात दिनों तक घनघोर वर्षा होती रही। परंतु इससे भी ब्रजवासी विचलित नहीं हुए, तब इंद्र देव को ये आभास हुआ कि श्री कृष्ण कोई साधारण बालक नहीं हैं। ऐसे में उन्होंने श्री कृष्ण से क्षमा याचना की। तभी पूरे देश में गोवर्धन पूजा की जाती है।

56 भोग का महत्व
कहा जाता है कि भगवान श्री कृष्ण ने ब्रजवासियों को इन्द्र देव के प्रकोप से बचाया था, इसलिए सभी ब्रजवासियों द्वारा श्री कृष्ण के लिए 56 प्रकार के भोग तैयार किए गए थे। तभी से यह परंपरा शुरू हुई और आज भी गोवर्धन पूजा के दिन भगवान को 56 भोग लगाए जाते हैं। ऐसी मान्यता है कि जो लोग इस दिन श्री कृष्ण को 56 भोग लगाते हैं, उनके जीवन में कभी किसी चीज की कमी नहीं होती है।

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