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अस्तांचलगामी सूर्य श्रद्धालुओं ने दिया अर्घ्य, घाटों पर उमड़ी भीड़

छठ पर्व धूमधाम से मनाया गया। महिलाओं ने 36 घंटे का उपवास रखकर ढलते सूरज को रविवार की शाम अर्घ्य दिया। छठ मइया की पूजा की। पूजन कार्यक्रम के दौरान महिलाओं ने छठ पूजा के गीत गाए।  शनिवार को शाम होते ही यमुना नदी के घाटों पर छठ की अलौलिक छटा बिखर गई। श्रद्धालु ने यमुना के घाटों पर विधि-विधान से छठ मैया का पूजन किया गया। इस दौरान दिल्ली, यूपी में यमुना नदी के घाटों पर सुरक्षा के सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए।

श्रद्धालुओं ने यमुना में डुबकी लगाई। इसके बाद अस्ताचलगामी (डूबते) सूर्य को अर्घ्य दिया गया। इस दौरान छठ मैया की गीत गूंजते रहे। इससे पूर्व छठ पूजा के दूसरे दिन शनिवार को व्रतियों ने छोटी छठ (खरना) का पूजन किया था। खरना के साथ ही 36 घंटे की तपस्या शुरू हो गई थी। चौथे दिन सोमवार की सुबह श्रद्धालु उदयाचलगामी (उगते) सूर्य को अर्घ्य देंगे। इसी के साथ चार दिवसीय महापर्व का समापन हो जाएगा।

छठ को लेकर कथा है कि अज्ञात वास की सजा काट रहे पांडव दुख में व दाने-दाने के लिए मोहताज थे। युधिष्ठिर, भीम, नकुल, सहदेव, अर्जुन द्रोपदी सहित वन में एक कुटिया में रह रहे थे। एक दिन ऋषियों का समूह इनकी कुटिया के पास पहुंचा।

इन्होंने खाना खाने की इच्छा जताई। द्रोपदी ने व्यथा सुनाई तो ऋषियों ने द्रोपदी को छठ का व्रत करने के लिए कहा। द्रोपदी ने ऋषियों के बताने के अनुसार छठ पूजा की। इससे पांडवों का खोया हुआ राजपाट वापस मिला।

कहते हैं जो सच्चे मन से छठ मइया का व्रत रखने से हर मनोकामना पूरी होती है। यूपी के गाजियाबाद, कानपुर समेत तमाम जिलों में छठ पर्व को लेकर नदी किनारे विशेष सजावट और सुरक्षा के इंतजाम किए गए थे। 

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