उत्तराखण्डराजनीति

देहरादून: भूमाफियाओं एवं प्रशासनिक अधिकारियों की मिलीभगत से हो रहे भूमि घोटालों की जांच हो: सीपीएम

देहरादून: पिछले काफी महीनों से हमारी पार्टी एवं सामाजिक मुद्दों से सरोकार रखने वाले लोग बार -बार सरकार ,जिलापप्रशासन तथा विकासनगर तहसील के समक्ष पीएसीएल ,प्रस्तावित बल्लूपुर -पांवटा राष्ट्रीय राजमार्ग एन एच -72 मुआवजा वितरण में अनियमिताओं तथा भूमाफियाओं द्वारा जनपद के अनेक भागों में खासकर विकासनगर तहसील के अन्तर्गत तहसील प्रशासन की मिलीभगत से ग्राम समाज की भूमि ,अनुसूचित //जनजाति के लोगों भूमि तथा जलमग्न श्रेणी की भूमि को खुर्दबुर्द करने के अनेक मामले प्रकाश में आये हैं किन्तु बार – बार धरने ,प्रदर्शनों एवं शिष्टमण्डलोंं के मिलने के बावजूद प्रशासन हाथ में हाथ धरा बैठा है ।जबकि हमारी पार्टी ने हजार – हजार पेज के दस्तावेज के सबूतों के रूप में पेश किये हैं जो एसपी ग्रामीण तथा जिलाधिकारी कार्यालय में घूल फांक रहे ,,अपराधी स्वयं इन कार्यालयों में जाकर समय पे समय मांगकर मामले को रफादफा करने की फिराक में हैं और अधिकारियों का उन्हें पूरा का पूरा संरक्षण मिल रहा है ।
हमारी पार्टी बिन्दुवार आपके समक्ष उक्त अनियमिताओं को आपके समक्ष रखने जा रही है ।
(1) पीएसीएल कम्पनी 1983 में बनी थी । जिसका मुख्य उद्देश्य निवेशकों की जमा राशि का उपयोग जमीनों को खरीदना व बेचना था तथा अविकसित जमीनों को विकसित करना ,खेती योग्य बनाना था तथा इसका लाभ निवेशकों को भी देना था किन्तु कम्पनी में अनियमिताओं के कारण 2014 में भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी ) द्वारा कम्पनी के कारोबार एवं सम्पतियों पर रोक लगा दी थी । पीएसीएल कम्पनी का प्रबन्धन न्याय के लिए सर्वोच्च न्यायालय गया ।
सर्वोच्च न्यायालय ने सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश जस्टिस लोढा की अध्यक्षता में कम्पनी की करोड़ों करोड़ रूपये की सम्पत्ति पर निगरानी तथा इस सम्पत्ति को बेचकर ,ताकि निवेशकों की बकाया राशि का भुगतान किया जा सके समिति का गठन किया गया ।
जहाँ -जहाँ कम्पनी की चल अचल सम्पत्ति थी वहाँ -वहाँ के जिलाधिकारियों को सम्पत्ति पर रिसीवर बिठाया गया ।
कम्पनी की मुख्यतःउत्तराखण्ड में देहरादून,उधमसिंहनगर ,टिहरी आदि जनपदों में करोड़ों करोड़ की सम्पत्ति है ।अकेले देहरदून में ही कम्पनी पर छोटे बड़े निवेशकों का लगभग 250 करोड़ रूपया बकाया है ,इसके विपरीत कम्पनी की अकूत सम्पत्ति देहरादून में मौजूद है जो अनुमानतः 1हजार करोड़ से भी अधिक की होगी ,किन्तु अकेले देहरादून में ही सर्वोच्च न्यायालय एवं जस्टिस लोढा कमेटी के आदेशों को दरकिनार करते हुऐ उपनिबंधक विकासनगर तहसील एवं तहसील प्रशासन एवं कम्पनी के अधिकारियों तथा भूमाफियाओं मिलीभगत से उक्त भूमि को बेचा गया ,जो कि स्वयं में बहुत बड़ा महाघोटाला है ।जिलाधिकारी जो इस सम्पत्ति के रिसीवर भी हैं ,इस सम्बंध में जबाब देने से कतरा रहे हैं।निवेशकों द्वारा जिलाधिकारी महोदय,पुलिस महानिदेशक महोदय यहाँ तक माननीय मुख्यमंत्री जी से आवश्यक कार्यवाही के अनुरोध के बावजूद स्थिति जस तस है,और निवेशक दर – दर भट रहे हैं ,और अपराधी खुलेआम घूम रहे हैं ।
राष्ट्रीय राजमार्ग 72,किमी 104-149 अधिग्रहण अधिसूचना 8 सितंबर 021 के बिरूध्द कार्य
राष्ट्रीय राजमार्ग ,विशेष भूमि आधिपत्य अधिकारी, उपजिलाधिकारी ,तहसील प्रशासन तथा एन एच में सामंजस्य न होने के कारण प्रभावित किसानों को मुआवजे के लिए कई महीनों से दर – दर भटक रहे हैं ,भूमाफियाओं द्वारा तहसील की मिलीभगत के कारण झूठे एवं मनगढंत आपतियां लगाकर गरीबों को परेशान किया जा रहा है ।,हमारी पार्टी ने 22नवम्बर 022को देहरदून मुख्यालय ,21 नबम्बर 022 को पुनः प्रदर्शन तथा 30 नवम्बर 022 को विधानसभा पर प्रदर्शन के बाद मुख्यमंत्री को ज्ञापन तथा जिलाधिकारी देहरादून द्वारा एडीएम प्रशासन की अध्यक्षता में कमेटी गठन तथा इन विभागों द्वारा कमेटी के दिशानिर्देशों की अवहेलना के चलते सभी प्रकरण 6 माह बाद भी जस के तस हैं ।एक विवादित पटवारी सभावाला को एडीएम के आदेश के बावजूद नहीं हटाया जाना दर्शाता है कि जिलाप्रशासन का आदेशों का किस तरह तहसील प्रशासन नजरअंदाज कर रहा है । विशेष भूमि आधिपत्य अधिकारी( एस एल ओ )को बदले जाने के बावजूद नये एस एल ओ द्वारा द्वारा भी शिथलता के साथ उक्त प्रकरणों पर कार्य किया जा रहा तहसील ,एस एल ओ ,एन एच तथा जिलाप्रशासन में तालमेल के अभाव का फायदा भूमाफियाओं ,भष्ट्र कर्मचारियों एवं अधिकारियों को मिल रहा है ,इन प्रकरणों में भूमाफियाओं पर कार्यवाही होने के बजाय उन्हें राजनैतिक एवं अधिकारियों का संरक्षण मिल रहा है ताकि वे प्रभावित लोगों पर दबाव बना सके ताकि वे डरकर पीछे हटें ।

(3) सभावाला तथा आस पास के ग्राम सभाओं की पंचायत ,जलमग्न तथा एसटी /एस सी की भूमि को कब्जाने तथा खुर्दबुर्द करने के पुख्ता सबूत भी इन भूमाफियाओं पर है ।
इस पत्रकार वार्ता के माध्यम से हम सरकार एवं जिलाप्रशासन से मांग करते हैं कि :-
(1) पीएसीएल की भूमि खुर्दबुर्द करने वालों को बिना देर किये गिरफ्तार किया जाऐ ।
(2)पीएसीएल की भूमि एवं सम्पत्ति जो कि देहरादून में लगभग 1000 करोड़ की है ,उसमें से एक हिस्सा बेचकर देहरदून के निवेशकों का लगभग 250 करोड़ का ब्याज सहित भुगतान किया जाऐ ।खुर्दबुर्द की गई भूमि वापस ली जाऐ ।
(2)एन एच मुआवजे में गड़बड़ी करने वाले अधिकारियों एवं भूमाफियाओं के खिलाफ कानूनी कार्यवाही की जाऐ तथा इस सन्दर्भ में शीर्ष आरोपी को बिना देर किये गिरफ्तार किया जाऐ ।
(3) एन एच 72 गजट नोटिफिकेशन के अनुरूप मुआवजा वितरण हो तथा मुआवजे में गड़बड़ी के दोषियों के खिलाफ विधिसम्भत कार्यवाही सुनिश्चित हो ।
(4)ग्राम समाज की भूमि ,नदी किनारे जलमग्न भूमि को खुर्दबुर्द करने वाले भूमाफियाओं के खिलाफ कार्यवाही हो तथा उनके कब्जे में सैकड़ों बीधा भूमि वापस ली जाऐ ।
पत्रकार वार्ता में सीपीएम जिलासचिव राजेंद्र पुरोहित ,महानगर सचिव अनन्त आकाश ,पछवादून सचिव कमरूद्दीन ,किसान सभा उपाध्यक्ष सुधा देवली ,पीएसीएल संघर्ष समिति के अध्यक्ष नरेशपाल ,सचिव महेंद्र सिंह इस्लाम ,गुमानसिंह ,रामेश्वर प्रसाद आदि बड़ी संख्या प्रभावित शामिल थे ।
भवदीय
(राजेंद्र पुरोहित
जिलासचिव सीपीएम
सलग्नक :-आवश्यक दस्तावेज ।

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