उत्तराखण्डराजनीति

महिला आरक्षण मातृशक्ति के साथ छलावाः कांग्रेस

नियत साफ है तो तत्काल लागू किया जाए महिला आरक्षणः प्रियंका
जनगणना और परिसीमन की शर्तें जोड़ बिल को लटकाया
देहरादून। अखिल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की प्रवक्ता प्रियंका सिंह ने महिला आरक्षण अधिनियम को लेकर केंद्र की मोदी सरकार पर निशाना साधा है, प्रियंका सिंह का कहना है, कि अगर मोदी सरकार की नियत साफ होती तो महिला आरक्षण अधिनियम तत्काल लागु करती, भाजपा इस बिल के सहारे 2024 के चुनाव में लाभा लेना चाहती है, इसिलिय जनगणना और परिसीमन की शर्तें जोडी गई हैं।
सोमवार को कांग्रेस मुख्यालय राजीव भवन में पत्रकारों से वार्ता करते हुए कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रियंका सिंह ने कहा कि भारत की भावी महिला सांसद आज की भाजपा सांसदों की तरह चुप नहीं रहेंगी। वे बेख़ौफ़ होकर महिलाओं के खिलाफ बढ़ते हुए जघन्य अपराधों पर बोलेंगी, उनकी भर्त्सना कर सकेंगी और अपराधियों को सज़ा दिलाने के लिए निडर हो कर मांग करेंगी। अपनी पार्टियों और सरकारों पर यौन अत्याचार करने वालों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की मांग और निंदा करने को एक राजनीतिक उपकरण के रूप में करेंगी, जैसा कि मणिपुर में हुआ था। क्योंकि सत्तारूढ़ दल की महिला सांसदों ने अपनी चुप्पी और महिलाओं के खिलाफ़ अपराधों में संलिप्तता से भारत की महिलाओं के साथ विश्वासघात किया है। महिला आरक्षण अधिनियम देश की आधी आबादी मातृशक्ति के साथ छलावा और धोखे के अलावा और कुछ नहीं। महिला आरक्षण लागू करने से पहले जिस तरह से केंद्र की भाजपा सरकार ने जनगणना और परिसीमन की शर्तें जोड़ दी हैं उस वजह से निकट भविष्य में तो महिलाओं को आरक्षण मिलता दिखाई नहीं दे रहा। पत्रकार वार्ता के दौरान वरिष्ठ उपाध्यक्ष संगठन-प्रशासन मथुरादास जोशी, वरिष्ठ उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना, मुख्य प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी, प्रदेश अध्यक्ष महिला कांग्रेस ज्योति रौतेला, पूर्व विधायक शैलेंद्र रावत व प्रदेश प्रवक्ता शीशपाल सिंह बिष्ट मौजूद रहे।
साढ़े नौ साल तक महिला आरक्षण बिल को दबाए बैठी रही सरकार
देहरादून। अखिल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की प्रवक्ता प्रियंका सिंह ने कहा कि1989 में तत्कालीन पीएम राजीव गांधी ने पंचायती राज संस्थानों में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण की शुरुआत की थी। जब कांग्रेस महिलाओं के लिए आरक्षण को बिल लाई तो भाजपा के दिग्गज नेता लाल कृष्ण आडवाणी, अटल बिहारी वाजपेई, यशवंत सिंह और राम जेठमलानी ने उसके विरोध में वोट किया।
दिसंबर 1992 में तत्कालीन पीएम पीवी नरसिम्हा राव ने पंचायतों और नगर पालिकाओं में महिलाओं के एक तिहाई आरक्षण के लिए संविधान संशोधन विधेयक को फिर से पेश किया। दोनों विधेयक पारित हुए और कानून बन गए। आज राजीव गांधी की दूरदृष्टि से भारत में 15 लाख महिलाओं का सशक्तिकरण हुआ है। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने महिला आरक्षण विधेयक पेश किया जो कि राज्यसभा से पारित हुआ था‌। सर्वसम्मति न होने के कारण यह लोकसभा में पास नहीं हो सका। 2016 व 2017 में पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने मांग की कि मोदी सरकार 8 मार्च 2016 को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर लोकसभा में महिला आरक्षण विधेयक पारित करे। पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी जुलाई 2018 में पीएम मोदी को पत्र लिखा था। भाजपा के पास पूर्ण बहुमत होने के बावजूद मोदी सरकार साढ़े नौ साल तक महिला आरक्षण बिल को पास क्यों नहीं करवा पाई? सरकार अभी भी देर करने के लिए जनगणना और परिसीमन की शर्तें क्यों थोप रही है?

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