बीजिंग: ली शांगफू चीन की कम्युनिस्ट पार्टी में चर्चित चेहरा हैं। उन्हें जिनपिंग के नेतृत्व में 2015 में सेना की स्ट्रैटिजिक सपोर्ट फोर्स शाखा का हिस्सा बनाया गया था। इस शाखा को स्पेस, साइबर तकनीक, राजनीतिक और इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर के क्षेत्र में चीन को उन्नत बनाने के लिए तैयार किया गया था।
चीन में राष्ट्रपति शी जिनपिंग को रिकॉर्ड तीसरे कार्यकाल के लिए सत्ता सौंपी गई है। अब चीन की कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीसी) जिनपिंग तरफ से प्रस्तावित नामों को सरकार में अलग-अलग पद सौंपने का काम भी कर रही है। पीएम ली कियांग के बाद कम्युनिस्ट पार्टी ने अपनी पार्टी कांग्रेस में जनरल शी शांगफू को चीन को नया रक्षा मंत्री नियुक्त किया है। 65 वर्ष के शांगफू जल्द ही वेई फेंघ की जगह लेंगे, जो कि अक्तूबर में ही चीन की सेंट्रल मिलिट्री कमीशन में अपने पद से इस्तीफे का एलान कर चुके हैं।
क्यों खास है ली शांगफू की नियुक्ति?
ली शांगफू चीन की कम्युनिस्ट पार्टी में चर्चित चेहरा हैं। उन्हें जिनपिंग के नेतृत्व में 2015 में सेना की स्ट्रैटिजिक सपोर्ट फोर्स शाखा का हिस्सा बनाया गया था। इस शाखा को स्पेस, साइबर तकनीक, राजनीतिक और इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर के क्षेत्र में चीन को उन्नत बनाने के लिए तैयार किया गया था।
यही नहीं अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा था कि उसकी तरफ से अमेरिकी चुनाव प्रक्रिया में रूसी दखल की कोशिशों के चलते रूसी हथियार विक्रेताओं, ली शांगफू और उनके विभाग पर वृहद प्रतिबंध लगाए गए हैं। शांगफू पर जो प्रतिबंध लगाए गए थे, उनके तहत वे अमेरिकी क्षेत्राधिकार में किसी भी लेन-देन में हिस्सा नहीं ले सकते थे। इसके अलावा उन्हें अमेरिकी वित्तीय सिस्टम में लेन-देन से भी पूरी तरह बैन कर दिया गया था। इतना ही नहीं अमेरिका में शांगफू की या उनसे जुड़ी संपत्तियों और उनके वीजा पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया था।
ऐसे में शांगफू को रक्षा मंत्री बनाए जाने का फैसला पहले से खराब अमेरिका-चीन के रिश्ते को और खराब कर सकता है। खासकर दो देशों के बीच रक्षा मंत्रियों की बैठक में स्थिति और खराब हो सकती है। अमेरिका को भी शांगफू के साथ बातचीत के दौरान अपने पुराने नियमों और प्रतिबंधों को ताक पर रखना पड़ सकता है, जो कि एक तरह से चीन के लिए फायदे का सौदा रहेगा।