उत्तराखण्ड

उच्चतम न्यायालय ने अदालतों की सुरक्षा बढ़ाने के दिए निर्देश

नई दिल्ली।दिल्ली की अदालतों में गोलीबारी की हालिया घटनाओं पर चिंता व्यक्त करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि देश के सभी न्यायिक परिसरों में स्थायी कोर्ट सुरक्षा इकाइयों की तैनाती और एक सुरक्षा योजना तैयार करने की आवश्यकता है। ऐसी घटनाएं जजों, बल्कि वकीलों, अदालत के कर्मचारियों, वादियों और आम जनता की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण जोखिम पैदा करती हैं।

कोर्ट ने कहा कि न्याय देने और कानून का शासन बरकरार रखने वाली अदालतों की पवित्रता के साथ किसी तरह का समझौता नहीं किया जा सकता। इसका संरक्षण बहुत जरूरी है। यह महत्वपूर्ण है कि न्यायिक संस्थान सभी हितधारकों की भलाई की सुरक्षा के लिए व्यापक कदम उठाएं। पीठ ने सवाल किया कि अगर न्याय के दरबारों में ही सुरक्षा कवच का अभाव होगा तो क्या वहां जाने वाले वादियों की उम्मीद कम नहीं होगी?

जिन लोगों को न्याय प्रदान करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है जब वे खुद असुरक्षित होंगे तो वादी अपने लिए न्याय कैसे सुरक्षित कर सकते हैं? पीठ ने कहा, यह भयावह है कि राष्ट्रीय राजधानी के अदालत परिसर में ही पिछले एक साल में गोलीबारी की तीन बड़ी घटनाएं हुई हैं।

पीठ ने कहा, हम समझते हैं कि सीसीटीवी कैमरों समेत आधुनिक सुरक्षा उपाय होने के बावजूद अदालत की सुरक्षा में खामियां अक्सर होती रही हैं। इससे यह संकेत मिलता है कि न्यायिक प्रणाली में सभी हितधारकों का विश्वास बनाए रखने के लिए प्रणालीगत उपाय आवश्यक हैं।

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