ऋषिकेश एम्स के वरिष्ठ अफसरों पर गिर सकती है गाज!
ऋषिकेश: अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ऋषिकेश के कई आला अधिकारी सीबीआई के रडार पर हैं। इन पर गाज गिरनी तय मानी जा रही है। सीबीआई को पूछताछ में अहम तथ्य हाथ लगे हैं। इसके बाद मामले में लिप्त आला अधिकारियों की कुंडली खंगाली जा रही है। शनिवार को भी सीबीआई ने तीन प्रोफेसरों समेत करीब 12 लोगों से पूछताछ की।
दवा एवं उपकरण खरीद में गड़बडी की शिकायत पर सीबीआई ने बीते शुक्रवार को आठ लोगों पर अलग-अलग केस दर्ज किया था। इसके बाद रात को सीबीआई की टीम आरोपियों से पूछताछ करती रही। सूत्रों की मानें तो पूछताछ में सामने आए तथ्यों के आधार पर सीबीआई एम्स के आला अधिकारियों पर कार्रवाई कर सकती है।
एम्स के पीआरओ हरीश थपलियाल ने बताया कि सीबीआई ने शनिवार सुबह भी कुछ लोगों से पूछताछ की है। 40 लीटर विदेशी शराब मिली: छापेमारी में एक आरोपी प्रोफेसर के आवास से सीबीआई ने 40 लीटर विदेशी शराब भी बरामद की है। इसकी कीमत लाखों रुपये में बताई जा रही है। सूत्रों की मानें तो सीबीआई की टीम महंगी शराब देखने के बाद सकते में आ गई।
छापेमारी में इस प्रोफेसर की दिल्ली, यूपी, हरियाणा और उत्तराखंड में छह फ्लैट भी जांच में सामने आये हंै। इन्हें प्रोफेसर ने परिवार के अलग-अलग सदस्यों के नाम से ले रखा है। खास बात यह है कि इसी प्रोफेसर के आवास पर छापे के दौरान सीबीआई टीम के सबसे अधिक 6 सदस्य शामिल रहे। जबकि दूसरे लोगों के आवास पर मात्र तीन-तीन सदस्य ही छापेमारी में थे।
एम्स में कार्रवाई पर कांग्रेस ने उठाया सवाल
उत्तराखंड कांग्रेस के प्रदेश महामंत्री विजय सारस्वत ने एम्स ऋषिकेश में सीबीआई की कार्रवाई पर सवाल उठाया है। उन्होंने कहा कि गड़बड़ियों में तत्कालीन डायरेक्टर और फाइनेंस एडवायजर की भूमिका की जांच होनी चाहिए। लेकिन कार्रवाई सिर्फ डाक्टरों पर की गई।
छापेमारी में इस प्रोफेसर की दिल्ली, यूपी, हरियाणा और उत्तराखंड में छह फ्लैट भी जांच में सामने आये हंै। इन्हें प्रोफेसर ने परिवार के अलग-अलग सदस्यों के नाम से ले रखा है। खास बात यह है कि इसी प्रोफेसर के आवास पर छापे के दौरान सीबीआई टीम के सबसे अधिक 6 सदस्य शामिल रहे। जबकि दूसरे लोगों के आवास पर मात्र तीन-तीन सदस्य ही छापेमारी में थे।
एम्स में कार्रवाई पर कांग्रेस ने उठाया सवाल
उत्तराखंड कांग्रेस के प्रदेश महामंत्री विजय सारस्वत ने एम्स ऋषिकेश में सीबीआई की कार्रवाई पर सवाल उठाया है। उन्होंने कहा कि गड़बड़ियों में तत्कालीन डायरेक्टर और फाइनेंस एडवायजर की भूमिका की जांच होनी चाहिए। लेकिन कार्रवाई सिर्फ डाक्टरों पर की गई।