उत्तराखण्ड

हल्द्वानी में भी शुरू हुआ भू माफिया व जमीनों की खरीद फरोख्त का विरोध

हल्द्वानी। भू माफिया द्वारा जमीनों की खरीद फरोख्त के प्रकरणों से उपजा विरोध देहरादून से आगे बढ़कर हल्द्वानी में शुरू हो गया है।

 

उत्तराखंड युवा एकता मंच के बैनर तले विभिन्न सामाजिक संगठनों, छात्र संगठनों से जुड़े लोगो ने हल्द्वानी बुद्ध पार्क में धरना देकर सरकार को आगाह किया कि अगर उत्तराखंड में भू कानून और मूल निवास 1950 लागू नही किया गया तो उत्तराखंड का युवा व मातृशक्ति सड़कों पर उतरेगी।

सभा को सम्बोधित करते हुए शैलेन्द्र सिंह दानू ने कहा कि उत्तराखंड की जमीनें जिस प्रकार बिक रही हैं उससे आने वाले समय में उत्तराखंड में बाहरी लोगों का एकाधिकार स्थापित हो जाएगा जिससे उत्तराखंड की सभ्यता संस्कृति भी प्रभावित होगी।

उत्तराखंड युवा एकता मंच के सदस्य तेजेश्वर घुघत्याल ने कहा कि उत्तराखंड में सशक्त भू कानून औऱ मूल निवास 1950 शीघ्र लागू किया जाए। उत्तराखंड का मूल निवास लागू होने से यहां के संसाधनों व रोज़गार पर पहला हक उत्तराखण्डियों का होना जरूरी है। जमीनों की लगातर हो रही खरीद फरोख्त होने से पहाड़ की सभ्यता संस्कृति बर्बाद हो रही है।

कार्तिक उपाध्याय ने कहा कि सख्त भू कानून लागू न होने से पहाड़ की जमीनें कौड़ियों के भाव बिक रही है। मजबूत मूल निवास नही होने से यहां उत्तराखंड के लोगो को अपने ही राज्य मैं बेरोजगार होना पढ़ रहा है। बाहरी लोगों को रोजगार मिल रहा है, और यहां के युवाओं को राज्य से बाहर जाना पड़ रहा है। . मजबूत भू कानून न होने से अधिकतर जमीने बिक चुकी हैं जो उत्तराखंड के लिए चिंताजनक है।

भूपेन्द्र सिंह कोरंगा ने कहा कि उत्तराखंड में मानव तस्करी को देखते हुए आज भू कानून मूल निवास के साथ-साथ हमें इनर लाइन परमिट सिस्टम और आर्टिकल 371 भी चाहिए। ताकि पहाड में बढ़ती मानव तस्करी और अपराध पर लगाम लग सके।

विशाल भोजक ने कहा कि आज उत्तराखंड सरकार उत्तराखंड के लोगो को लगातार भू कानून के नाम पर गुमराह करते जा रही है। आज तक सरकार भू कानून पर अपना रुख स्पष्ट नही कर पाई है। उत्तराखंड को बचाने के लिए सशक्त भू कानून की जरूरत है।

इस दौरान प्रिंस वालिया, अक्षत पाठक, रक्षित बिष्ट, संजय जोशी, कमल जोशी, रोहित कर्मियाल, पंकज दानू, मयंक गोस्वामी, मनीकेत तोमर, आयुष नागर, पंकज बिष्ट, सुनील सनवाल, प्रमोद बिष्ट, मोहित उप्रेती, उमंग जोशी आदि लोग उपस्थित रहे।

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