नई दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने संसद के हंगामेदार मॉनसून सत्र के दौरान पारित चार विधेयकों को मंजूरी दे दी है। डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक, जन्म और मृत्यु पंजीकरण (संशोधन) विधेयक, जन विश्वास (प्रावधानों में संशोधन) विधेयक, और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक पर अब कानून बनने के लिए मुहर लग चुकी है। इनमें से कम से कम दो विधेयक, जो अब कानून बन गए हैं का विपक्षी दलों ने कड़ा विरोध किया था।
NDTV के अनुसार केंद्र सरकार का राष्ट्रीय राजधानी में सेवाओं पर नियंत्रण का कानून आम आदमी पार्टी के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार से दिल्ली की नौकरशाही पर नियंत्रण को खींच लिया है। इसका विपक्ष के इंडिया गुट ने कड़ा विरोध किया, और जब इसे सदन में मतदान के लिए रखा गया तो विपक्षी दल के सांसद संसद से बाहर चले गए।
बता दें कि गृह मंत्री अमित शाह ने सरकार के प्रस्तावित कानून का बचाव किया था। उन्होंनें कहा था कि ‘यह अध्यादेश सर्वोच्च न्यायालय के आदेश को संदर्भित करता है जो कहता है कि संसद को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली से जुड़े किसी भी मुद्दे पर कानून बनाने का अधिकार है। संविधान में ऐसे प्रावधान हैं जो केंद्र को दिल्ली के लिए कानून बनाने की अनुमति देते हैं.’ इससे पहले केंद्र और अरविंद केजरीवाल सरकार के बीच आठ साल तक चली खींचतान के बाद सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया था कि चुनी हुई सरकार दिल्ली की बॉस है। विधेयक को लेकर 131 सांसदो ने पक्ष में और 102 सांसदों ने विपक्ष में मतदान किया था।
जन्म और मृत्यु का पंजीकरण (संशोधन) अधिनियम से डिजिटल जन्म प्रमाण पत्र को सक्षम करने का मार्ग प्रशस्त होगा. जिसे अब एकमात्र निर्णायक आयु प्रमाण माना जाएगा, और कई उद्देश्यों के लिए एकल दस्तावेज़ के रूप में उपयोग किया जा सकता है। इसके बाद शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश से लेकर, ड्राइविंग लाइसेंस जारी करने, विवाह पंजीकरण, सरकारी नौकरी में नियुक्ति और खाद्य कल्याण योजनाओं का लाभ उठाने तक जन्म प्रमाण पत्र का उपयोग करने की अनुमति देने का भी प्रावधान रखा गया है।