मणिपुर हिंसा: उपद्रवियों के पास चीनी बुलेट और म्यांमार की असाल्ट राइफल जैसे हथियार, पुलिस के पास भी नहीं
मणिपुर हिंसा में शामिल उपद्रवियों के पास अच्छी खासी संख्या में विदेशी हथियार होने की बात सामने आ रही है। उपद्रवी समूहों ने इन हथियारों का इस्तेमाल आपसी संघर्ष में करने के अलावा सुरक्षा बलों के साथ हुई मुठभेड़ में भी किया है। मणिपुर में मौजूद केंद्रीय सुरक्षा बलों के विश्वस्त सूत्रों के मुताबिक, उन्हें इस बात का पता तब चला, जब उपद्रवियों की ओर से आई गोली, बुलेटप्रूफ वाहन और जैकेट को भेद गई। बाद में मालूम हुआ कि वह तो स्टील बुलेट थी। इसका इस्तेमाल भारत में किसी भी सुरक्षा बल के द्वारा नहीं किया जाता। दूसरा खुलासा यह हुआ है कि मणिपुर पुलिस ट्रेनिंग सेंटर, पंगेई से उपद्रवियों द्वारा लूटे गए करीब 4500 हथियार और 6.5 लाख कारतूसों में से जो तीस फीसदी हथियार व गोला बारूद वापस जमा हुआ है, उनमें कई जंग लग चुके हथियार भी शामिल हैं। यह एक बड़ी चिंता का विषय है कि उपद्रवियों के हाथ में ऐसे हथियार हैं, जो मणिपुर पुलिस और कमांडो तक के पास में नहीं हैं।
‘आर्मर पियर्सिंग इन्सेंडरी’ (एपीआई) का इस्तेमाल
सूत्रों के मुताबिक, चुराचांदपुर, कांगपोकपी और बिशनपुरा और कई हिल क्षेत्रों में विदेशी हथियारों की मौजूदगी बताई जाती है। 3 मई को हिंसा शुरू होने के बाद जब सुरक्षा बलों और उवद्रवियों के बीच मुठभेड़ हुई, तो यह बात पता चली थी। स्टील की गोलियां यानी ‘आर्मर पियर्सिंग इन्सेंडरी’ (एपीआई) का निर्माण चीन में होता है। वहां से ये गोलियां, म्यांमार के रास्ते मणिपुर तक पहुंची हैं। 2017 में जम्मू कश्मीर में पुलवामा के लेथपोरा में स्थित सीआरपीएफ कैंप पर हुए हमले में भी जैश-ए-मोहम्मद के आतंकियों ने ‘आर्मर पियर्सिंग इन्सेंडरी’ का इस्तेमाल किया था। स्टील की गोली का वार झेलने की क्षमता ‘लेवल-4’ बुलेटप्रूफ कवच में होती है। भारत में आर्मी या किसी अन्य फोर्स में ‘आर्मर पियर्सिंग इन्सेंडरी’ का इस्तेमाल, गैर-कानूनी है। ‘नाटो’ ने भी स्टील की गोलियों पर प्रतिबंध लगाया हुआ है। चीन और पाकिस्तान में ये गोलियां प्रयोग में लाई जाती हैं। कुछ समय पहले पुंछ में हुए आतंकी हमले में आतंकियों ने इन्हीं गोलियों का इस्तेमाल किया था। 7.62 एमएम स्टील कोर की गोलियां चीन में बनी थीं।