उत्तराखण्ड

नाबार्ड ने 501 करोड़ के ऋण प्रस्तावों को दी मंजूरी

देहरादून। मुख्य सचिव डॉ. एस.एस. संधु ने सचिवालय में विभिन्न विभागों द्वारा नाबार्ड से ऋण के लक्ष्यों के सम्बन्ध में समीक्षा की। मुख्य सचिव ने कहा कि स्वीकृत प्रस्तावों के सापेक्ष विभागों द्वारा डिस्बर्शमेंट की प्रगति संतोषजनक नहीं है। सभी विभागों को इसमें तेजी लाने की आवश्यकता है। मुख्य सचिव ने नाबार्ड को भी प्रस्तावों की स्वीकृति में तेजी लाने के निर्देश दिए।

मुख्य सचिव ने सभी विभागों के सचिवों एवं विभागाध्यक्षों को ऋण वितरण एवं अदायगियों में तेजी लाने के लिए साप्ताहिक समीक्षाएं किए जाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि विभागों को वितरण और अदायगियों में आ रही समस्याओं का निवारण कर शीघ्र कार्यों को पूर्ण किया जाए। उन्होंने विभागीय सचिवों को आरआईडीएफ के अंतर्गत प्रस्तावों को विभागीय कैलेंडर से जोड़ते हुए स्वीकृति से लेकर डिस्बर्शमेंट तक निर्धारित समयसीमा में पूर्ण कराया जाए।

उन्होंने प्रोजेक्ट कम्प्लीशन रिपोर्ट्स भी शीघ्र जमा कराए जाने के निर्देश देते हुए कहा कि अच्छे प्रस्ताव लगातार तैयार कर वित्त को भेजे जाने के साथ ही डीपीआर नाबार्ड को भी भेज दी जाए, ताकि समय पर नाबार्ड की भी संस्तुति मिल सके। उन्होंने प्रत्येक सप्ताह और पाक्षिक रूप से प्रस्तावों की लगातार मॉनिटरिंग किए जाने के निर्देश दिए।

उन्होंने पीएम गति शक्ति उत्तराखण्ड पोर्टल पर भी लगातार अपडेट किए जाने के निर्देश दिए। बैठक में सचिव दिलीप जावलकर ने बताया कि नाबार्ड से लिए जाने वाले 1090 करोड़ के ऋण के लक्ष्य के सापेक्ष विभागों ने 907.93 करोड़ के प्रस्ताव नाबार्ड को भेज दिए हैं, नाबार्ड ने 501.20 करोड़ के प्रस्ताव को स्वीकृति दे दी है। शेष प्रस्तावों का परीक्षण प्रगति पर है। उन्होंने बताया कि 900 करोड़ के डिस्बर्शमेंट के लक्ष्य के सापेक्ष अभी तक विभागों द्वारा मात्र 273.82 करोड़ का डिस्बर्शमेंट किया गया है।

इस अवसर पर सचिव डॉ. बी.वी.आर.सी. पुरूषोत्तम, दीपेन्द्र कुमार चौधरी, एस.एन. पाण्डेय, अपर सचिव सी. रविशंकर एवं विनीत कुमार सहित विभागों के विभागाध्यक्ष एवं उच्चाधिकारी उपस्थित थे।

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