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काशीपुर फायरिंग केस: मुकदमेबाजी में उलझी उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड पुलिस

देहरादून/काशीपुर/मुरादाबाद: जिस खनन माफिया जफर को पकड़ने के चक्कर में यूपी पुलिस पर हमला हुआ और गोलियां चलीं, वह अभी भी फरार है। लेकिन, इस दौरान गोली लगने से महिला की मौत होने के बाद यूपी और उत्तराखंड की पुलिस अपना पक्ष मजबूत करने के लिए मुकदमेबाजी में जुट गई है। इस मामले में राजनीतिक दबाव बढ़ते ही यूपी और उत्तराखंड पुलिस आमने-सामने आ गई है। इस मामले में डीआईजी कुमाऊं नीलेश आनंद भरणे ने डीआईजी मुरादाबाद को पत्र लिखा कर पूछा है कि यूपी पुलिस यहां क्यों आई थी और फिर बिना बताए यहां से कैसे चली गई? उत्तराखंड पुलिस ने इस मामले में यूपी पुलिस से मदद मांगी है। 

बीती रात 12 पुलिसकर्मियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज होने पर उत्तराखंड पुलिस की जांच शुरू होते ही यूपी पुलिस ने भी माफिया जफर समेत 35 अज्ञात के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की है। ठाकुरद्वारा के थाना प्रभारी योगेंद्र कुमार सिंह की तहरीर पर बृहस्पतिवार को दर्ज किए गए मुकदमे में डकैती, जानलेवा हमले समेत 18 गंभीर धाराएं लगाई गईं हैं। मामले की विवेचना खुद वारदात में घायल इंस्पेक्टर ठाकुरद्वारा करेंगे। इसमें तीन सरकारी पिस्टलें लूटने का भी जिक्र किया गया है।  उधर इस पूरे मामले पर डीआईजी कुमाऊं नीलेश आनंद भरणे ने भी यूपी पुलिस की कार्रवाई को घोर लापरवाही भरा बताया है।  यूपी पुलिस के नियमों का पालन नहीं करने की वजह से यह घटना हुई है। मुरादाबाद पुलिस बिना ऊधमसिंह नगर पुलिस को सूचना दिए यहां आई थी।

बृहस्पतिवार को डीआईजी नीलेश आनंद भरणे, एसएसपी मंजूनाथ टीसी, एसडीएम अभय प्रताप सिंह, तहसीलदार अक्षय भट्ट सहित तमाम पुलिस अधिकारी ज्येष्ठ उप ब्लॉक प्रमुख गुरताज सिंह भुल्लर के घर पहुंचे। यहां मृतका गुरजीत कौर के परिजनों ने अधिकारियों को घेर लिया। पूछा गया कि अभी तक यूपी पुलिस के जवानों को गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया। इस पर डीआईजी ने कहा कि पुलिस की सात टीमें जांच में जुटी हैं। कुंडा थाना पुलिस को यूपी दबिश देने के लिए भेजा गया है ताकि आरोपी पुलिस जवानों को गिरफ्तार किया जा सके।

क्रास फायरिंग की दलील उत्तराखंड पुलिस ने नकारी

उत्तराखंड पुलिस के अधिकारियों के बयान से उत्तर प्रदेश पुलिस की मुश्किलें बढ़ती दिख रही हैं। एसएसपी मंजूनाथ टीसी ने फोरेंसिक एक्सपर्ट की रिपोर्ट के आधार पर कहा कि घटनास्थल पर सिर्फ एक ही तरह के असलहे से चले हुए खोखे बरामद हुए हैं। इन असलहों का इस्तेमाल यूपी पुलिस करती है। ऐसे में यूपी पुलिस की क्रॉस फायरिंग की दलील को झटका लगता दिखाई दे रहा है।  राजकीय विधि विज्ञान प्रयोगशाला के ज्वाइंट डायरेक्टर डॉ. दयाल शरण ने बताया कि जांच में मौके से तीन असलहे और दो कारतूस बरामद हुए हैं। अब तक की जांच में ऐसा कोई सुबूत नहीं मिला जिससे क्रॉस फायरिंग की बात को बल मिले।एसएसपी ऊधमसिंह नगर  मंजूनाथ टीसी  के अनुसार  यूपी पुलिस के जवानों को कुंडा थाने के तीन पुलिस कर्मियों के साथ अस्पताल भेजा गया था। अस्पताल में उन्होंने हमारे सिपाही के साथ धक्कामुक्की की और वह चले गए। यूपी पुलिस के जवानों ने हमारे कांस्टेबल पर बल प्रयोग किया है। सीसीटीवी फुटेज में यह पूरी घटना कैद है। उन्होंने हमारा बैरियर भी तोड़ा।

ये है यूपी पुलिस की कहानी

12 अक्तूबर की शाम पांच बजे खनन माफिया जफर के कमालपुरी चौराहे के पास चौपहिया वाहन से आने की सूचना पर ठाकुरद्वारा थाना पुलिस और एसओजी टीम ने घेराबंदी की। शाम करीब पौने छह बजे जफर सफेद रंग की कार से सूरजननगर की ओर से निकला। जब पुलिस ने उसे वहां रोकने का प्रयास किया तो उसने फायरिंग शुरू कर दी। एक गोली कांस्टेबल दीपक सिंह के बाजू में लगी। इसके बाद आरोपी फायरिंग करते हुए भागने लगा। पुलिस उसका पीछा करते हुए उत्तराखंड के भरतपुर गांव में पहुंच गई। यहां जफर एक मकान में घुस गया। जहां जफर और पहले से मौजूद 30 से 35 अज्ञात लोगों ने दरवाजा बंद करके पुलिस टीम को लाठी-डंडों से पीटना शुरू कर दिया। एसओजी की गाड़ी में तोड़फोड़ कर दी और आग लगाने की कोशिश की। पुलिस कर्मियों ने जान बचाने के लिए भागने का प्रयास किया। आरोपियों ने फायरिंग शुरू कर दी। एक गोली सिपाही शिव कुमार के पैर में लगी जबकि अन्य पुलिसकर्मी भी घायल हो गए। दहशत में आसपास के लोगों ने अपने घरों की खिड़की दरवाजे बंद कर लिए। सूचना मिलने पर स्थानीय पुलिस आई और पुलिस टीम को बमुश्किल बचाया। लोगों ने पूछने पर मकान मालिक का नाम भूल्लर बताया।

इन धाराओं में दर्ज किया है मामला

एसएसपी हेमंत कुटियाल के मुताबिक इंस्पेक्टर की तहरीर पर एक नामजद और 35 अज्ञात के खिलाफ आईपीसी की धारा 147, 148, 149, 186, 212, 224, 225, 307, 395, 397, 332, 333, 339, 340, 342, 353, 120, बी और आयुध अधिनियम 1959 की धारा 25 (1-बी) (ए) में केस दर्ज किया गया है। 

…तो क्या नेपाल भाग गया जफर

यूपी पुलिस का कहना है कि भरतपुर में पुलिस टीम को बंधक बना लेने के बाद आरोपी जफर अली वहां से खिसक लिया। उसकी गिरफ्तारी के लिए यूपी के जनपद बिजनौर, मुरादाबाद, रामपुर, बरेली और जनपद पीलीभीत की सीमाएं सील कर वाहनों की चेकिंग का अभियान चलाया गया, लेकिन वारदात के 24 घंटे बाद भी जफर पुलिस के हत्थे नहीं चढ़ा। सूत्रों के अनुसार जफर के नेपाल भाग जाने की भी चर्चा है। हालांकि किसी पुलिस अधिकारी ने इसकी पुष्टि नहीं की है।

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