दीपावली रोशनी का पर्व आज, जानें, पूजन मंत्र और मां लक्ष्मी के 8 रूप-8 अवतार, मां के घर आने के संकेत
नई दिल्ली: दीपावली रोशनी का पर्व है। यह पर्व कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की अमावस्या को मनाया जाता है। मान्यता के अनुसार भगवान राम इस दिन 14 वर्ष के वनवास के साथ अयोध्या वापस लौटे थे और इसी खुशी में आयोध्यावासियों ने दीये जलाकर उनका स्वागत किया था। एक अन्य मान्यता के अनुसार ऐसी मान्यता भी है कि दीपावली पर मां लक्ष्मी प्रकट हुई थीं इस कारण दिवाली पर लक्ष्मी पूजन का विशेष महत्व होता है। पुराणों के अनुसार समुद्र मंथन के दौरान कार्तिक माह की अमावस्या पर मां लक्ष्मी प्रकट हुई थीं, वहीं वाल्मीकि रामायण के अनुसार इस दिन भगवान विष्णु संग माता लक्ष्मी का विवाह हुआ था। इस वजह से हर साल दिवाली पर लक्ष्मी पूजन का महत्व है। दिवाली आने से कई दिनों पहले से ही घरों की साफ-सफाई और सजावट होने लगती है। दिवाली की शाम को शुभ मुहूर्त में लक्ष्मी-गणेश, कुबेर और माता सरस्वती की विशेष पूजा आराधना की जाती है। आइए जानते हैं इस दिवाली पर लक्ष्मी माता से जुड़ी सभी जानकारियां कैलेंडर के माध्यम से।
दिवाली पूजन मुहूर्त
चित्रा नक्षत्रः तड़के 2:41 बजे के उपरांत। वैघृति योग का संयोग।
धनु लग्न : (10:35 से 12:38 बजे) लग्नेश गुरु स्वराशि में सुख स्थान में।
मकर लग्न : (12:38 से 14:21 बजे) लग्नेश शनि, अभिजित मुहूर्त, उद्योग व चर का चौघड़िया।
स्थिर लग्न कुंभ : (14:21 से 15:49 बजे) लाभ का चौघड़िया। व्यावसायिक संस्थानों के लिए शुभ।
मेष लग्न : (17:14 से 18:50 बजे) अमृत का चौघड़िया एवं प्रदोष काल। उद्योग, ट्रांसपोर्ट के लिए श्रेष्ठ।
स्थिर लग्न वृष : (18:50 से 20:26)
कर्क लग्न : (रात्रि 22:59 से 1:19) लाभ का चौघड़िया।
इन घरों में करती हैं माता लक्ष्मी वास
माता लक्ष्मी दिवाली पर उनके घरों में प्रवेश करती हैं
. जहां साफ-सफाई हो
. जहां प्रतिदिन पूजा-पाठ हो
. जहां महिलाओं का सम्मान हो
. जहां भगवान विष्णु,श्रीयंत्र और श्री सूक्त का पाठ हो
माता लक्ष्मी ऐसे घरों में कभी वास नहीं करती
माता लक्ष्मी स्वच्छता का प्रतीक मानी गई हैं तो कुछ ऐसे स्थान हैं जहां माता लक्ष्मी वास नहीं करती हैं।
. जहां गंदगी और सामान बिखरा हुआ हो
. जहां स्त्रियों का अनादर हो
. जहां प्रतिदिन पूजा न होती हो
. जहां वास्तुदोष हो
मां लक्ष्मी के रहस्य
दिवाली के पावन पर्व पर आइए जानते हैं माता लक्ष्मी से जुड़े कुछ खास रहस्य।
. समुद्र मंथन के दौरान मां लक्ष्मी की उत्पत्ति हुई
. लक्ष्मी जी भृगु ऋषि और ख्याति की संतान हैं।
. धाता और विधाता माता लक्ष्मी के दो भाई हैं।
. अलक्ष्मी माता लक्ष्मी की बहन हैं
. भगवान विष्णु माता लक्ष्मी के पति हैं
. मान्यता हैं कि मां लक्ष्मी के 18 पुत्र हैं।
. वह क्षीरसागर में भगवान विष्णु संग निवास करती हैं।
. शुक्रवार, पूर्णिमा और दिवाली पर माता लक्ष्मी की विशेष पूजा की जाती है।
. मां लक्ष्मी के वाहन उल्लू और हाथी हैं।
. माता लक्ष्मी सुख-समृद्धि और वैभव की देवी मानी जाती हैं।
महालक्ष्मी के घर आने के संकेत
यदि मां लक्ष्मी आप पर प्रसन्न हैं और वह आपके घर में वास करना चाहती हैं तो आपको इससे जुड़े कई संकेत घर में देखने को मिलेंगे। जैसे-
- अचानक काली चींटियां का आना
- चिड़ियां का घोंसला बनाना
- दिवाली पर छिपकली का दिखना
- सपने में उल्लू,हाथी,झाड़ू और शंख देखना
- सुबह गन्ना, शंख, उल्लू और झाड़ू को देखना
- दिवाली लक्ष्मी पूजन सामग्री
- दिवाली पर मां लक्ष्मी की पूजा से जुड़ी खास सामग्री इस प्रकार है।
- . शंख
- . कमल का फूल
- . गोमती चक्र
- . धनिया के दाने
- . कच्चा सिंघाड़ा
- . मोती
- . कमलगट्टे का माला
- मां लक्ष्मी के प्रिय भोग
- दिवाली पूजन के दौरान मां लक्ष्मी को भोग स्वरूप उनकी प्रिय चीजें अर्पित करें जो इस प्रकार हैं।
- . मखाना
- . सिंघाड़ा
- . बताशा
- . गन्ना
- . खीर
- . हलवा
- . अनार
- . पान
- . केसर
- . सफेद पीली मिठाई
- लक्ष्मी पूजन मंत्र
- . ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीभयो नमः॥
- . ॐ श्रीं श्रीयै नम:
- . ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीभ्यो नमः॥
- . ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मयै नम:॥
क्षीरोदार्णवसम्भूते सुरासुरनमस्कृते
सर्वदेवमये मातर्गृहाणार्घ्यं नमो नम:
.सुरभि त्वं जगन्मातर्देवी विष्णुपदे स्थिता
सर्वदेवमये ग्रासं मया दत्तमिदं ग्रस
.सर्वदेवमये देवि सर्वदेवैरलङ्कृते
मातर्ममाभिलषितं सफलं कुरु नन्दिनि
मां लक्ष्मी के 8 रूप
जिस तरह मां दुर्गा के नौ स्वरूप की पूजा की जाती है, उसी तरह मां लक्ष्मी के भी आठ रूप हैं जो इस प्रकार हैं।
- धनलक्ष्मी
- धान्यलक्ष्मी
- आदिलक्ष्मी
- गजलक्ष्मी
- संतानलक्ष्मी
- वीरलक्ष्मी
- विजयलक्ष्मी
- विद्यालक्ष्मी
लक्ष्मीजी के 8 अवतार
लक्ष्मी जी के 8 अवतार इस प्रकार हैं-
- महालक्ष्मी- जो वैकुंठलोक में वास करें
- स्वर्गलक्ष्मी- जो स्वर्गलोक में वास करें
- दक्षिणालक्ष्मी- जो यज्ञ में वास करें
- गृहलक्ष्मी- जो गृह में वास करें
- शोभालक्ष्मी- जो हर वस्तु में वास करें
- रुक्मणी – जो गोलोक में वास करें
- राधालक्ष्मी- जो गोलोक में वास करें
- राजलक्ष्मी- जो पाताललोक में वास करे
मां लक्ष्मी के प्रमुख मंदिर
माता लक्ष्मी के प्रमुख आठ मंदिर इन स्थानों पर हैं-
- पद्मावती मंदिर,तिरुपति
- स्वर्ण मंदिर,तमिलनाडु
- पद्मनाभस्वामी मंदिर,केरल
- महालक्ष्मी मंदिर,मुंबई
- महालक्ष्मी मंदिर,इंदौर
- चौरासी मंदिर,हिमाचल प्रदेश
- लक्ष्मीनारायण मंदिर,चंबा
- अष्टलक्ष्मी मंदिर,चेन्नई
मां लक्ष्मीजी की आरती
ऊं जय लक्ष्मी माता,मैया जय लक्ष्मी माता।।
तुमको निशदिन सेवत,हरि विष्णु विधाता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।
उमा,रमा,ब्रह्माणी,तुम ही जग-माता।
मैया तुम ही जग-माता।।
सूर्य-चंद्रमा ध्यावत,नारद ऋषि गाता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।
दुर्गा रूप निरंजनी,सुख सम्पत्ति दाता।
मैया सुख संपत्ति दाता।
जो कोई तुमको ध्यावत,ऋद्धि-सिद्धि धन पाता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।
तुम पाताल-निवासिनि,तुम ही शुभदाता।
मैया तुम ही शुभदाता।
कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी,भवनिधि की त्राता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।
जिस घर में तुम रहतीं, सब सद्गुण आता।
मैया सब सद्गुण आता।
सब संभव हो जाता, मन नहीं घबराता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।
तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता।
मैया वस्त्र न कोई पाता।
खान-पान का वैभव,सब तुमसे आता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।
शुभ-गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि-जाता।
मैया क्षीरोदधि-जाता।
रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।
महालक्ष्मी जी की आरती,जो कोई नर गाता।
मैया जो कोई नर गाता।
उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।
ऊं जय लक्ष्मी माता,मैया जय लक्ष्मी माता।
तुमको निशदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।