उत्तराखण्डधर्म-संस्कृति

भारतीय धार्मिक एकता परिषद (रजि) ने किया राष्ट्रीय कार्यकारिणी गठन, नवनियुक्त पदाधिकारियों ने संभाला पदभार 

कार्यकारणी के वरिष्ठ सदस्य तथा पूर्व सैनिक राजेन्द्र जजेडी व 
राष्ट्रीय अध्यक्ष मुकेश पांडे ने किया संबोधित

देहरादून:भारतीय धार्मिक एकता परिषद के कार्यकारणी के वरिष्ठ सदस्य तथा पूर्व सैनिक श्री राजेन्द्र जजेडी ने प्रेस/मीडिया को संबोधित करते हुए बताया कि भारतीय धार्मिक एकता परिषद (रजि) की कार्यकारणी बैठक में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पास कर निर्णय लिया गया है। इस निर्णय के बाद, श्री मुकेश पांडे जी को राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं सचिन चपराना को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष  व श्री दीपक काद्यान जी को राष्ट्रीय महासचिव तथा श्री मंजीत रावत जी को राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष  के पद पर मनोनीत किया गया है। पद ग्रहण करने के बाद, राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री मुकेश पांडे जी ने प्रेस को सम्बोधित करते हुए कहा कि सनातन हिन्दू  धर्म,  सिख धर्म, बौद्ध धर्म, और जैन धर्म, ये सभी धर्म हिन्दू  ही कहलाते थे। 1992 में कानून बनाकर, सिख, जैन,और बौद्ध धर्म को माईनॉरिटी (अल्पसंख्यक) की मान्यता दी गई, असलीमकसद था मुस्लिम समुदाय को फायदा पहुंचाना ।

एक तीर से दो निशान तब साधा गया, जब माईनॉरिटी(अल्पसंख्यक) कमिशन एक्ट बना , फिर 1995 में वक्फ बोर्डएक्ट असीमित अधिकार दिया गया । इसके बाद पूरे देश में जमीनो पर वक्फ बोर्ड द्वारा कब्जा किया गया । 2004 में मनमोहन सरकार ने माइनॉरिटी एजुकेशन एक्ट बनाया | इसके कुछ दिनों बाद, राइट टू एडुकेशन एक्ट को लागू किया गया, जिसमें मदरसों को एजुकेशन सिस्टम से बाहर कर दिया गया । हम दावे के साथ कहते है कि सनातन हिन्दू धर्म में वर्ण व्यवस्था होती है, लेकिन जाति व्यवस्था नहीं है। 1931 में पहली बार जातियों का निर्माण अंग्रेजी हुकूमत ने किया, और उन्होंने लगभग 3400 जातियों बनाई,आज 2024 में 6000  से अधिक जातियां हैं।

अगर ऐसे ही चलता रहा तो 6 से 12 भी जल्द हो जाएंगे । आगे राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री मुकेश पांडे ने कहा कि अगर जातियों में विभाजन इतना ही शोभा देता  है मंगल लगता है तो, क्रिश्चियन  में भी पिछड़े अति पिछड़े और महा पिछड़े करो और मुस्लिम मे भी पिछड़े अति पिछड़े और महा पिछड़े करो |और पूछो कितने सिया, कितने सुन्नी, कितने बरेलवी, कितने अहलदिया , कितने कमरिया, कितने घोसी, कितने पसमंदा है, यह बात इनसे कोई नहीं पूछता । क्रिश्चियन से कोई पूछे कितने डेकलस कितने प्रोसीटन कितने केथीलिक कितने रोमन है | आप सिर्फ यह  बताएंगे कि सनातन हिन्दू धर्म मे इतने पंडित इतने जाट इतने गुज्जर इतने यादव इतने शर्मा इतने वर्मा  है, जातियों मे बटा समाज निसंदेह तकलीफ दायक है, आज पड़ोसी भी पूछते है कौन जाति के हो भाई |

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