मुख्यमंत्री धामी की सख्ती के बाद दून के सब रजिस्ट्रार ऑफिस में जमीनों के फर्जीवाड़े की जांच के लिए एसआईटी गठित
देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की सख्ती के बाद दून के सब रजिस्ट्रार कार्यालयों में जमीनों की रजिस्ट्री में फर्जीवाड़े की जांच के लिए सरकार ने सेवानिवृत्त आईएएस सुरेंद्र सिंह रावत की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय एसआईटी का गठन कर दिया है। एसआईटी में पुलिस की ओर से डीआईजी लॉ एंड ऑर्डर पी रेणुका देवी और निबंधन की ओर से एआईजी स्टांप अतुल कुमार शर्मा को बतौर सदस्य शामिल किया गया है। रावत विधानसभा में हुई बैक डोर भर्ती प्रकरण में डी के कोटिया की टीम में शामिल थे जबकि डीआईडी पी रेणुका देवी अंकिता हत्याकांड में एसआईटी प्रभारी रही हैं।चर्चित फर्जी की जांच के लिए एसआईटी गठन के बारे में वित्त विभाग ने आदेश जारी कर दिए हैं। बताया जाता है कि एआईटी में विशेष सदस्य शामिल किए जा सकते हैं। गौरतलब है कि पिछले दिनों डीएम देहरादून को रजिस्ट्री कार्यालय में गड़बड़ी की सूचना मिली थी। जनता दरबार में भी पूर्व आईएएस प्रेमलाल से संबंधित भूमि की शिकायत से मामला खुला। रानीपोखरी में 60 बीघा जमीन को फर्जीवाड़ा कर दूसरों के नाम किया था। इस फर्जीवाड़ा में पीलीभीत के दो लोगों के नाम सामने आए थे।
डीएम ने दूसरे तीन और मामलों की जांच कराई तो उनमें भी इसी तरह की गड़बड़ी सामने आई। जांच में पाया गया कि भू- माफिया और अधिकारी-कर्मचारी मिलीभगत से रजिस्ट्रार कार्यालय में रखी जिल्दों में से पुरानी रजिस्ट्री के कागज फाड़कर उनके स्थान पर फर्जी कागज लगाते रहे है। भूमि को बेचने, दान करने वाले लोगों का ब्योरा बदला गया। यह सब 1978 से 1990 के बीच हुई रजिस्ट्रियों में किया गया है। पिछले दिनों डीएम के आदेश पर शहर कोतवाली में एक मुकदमा अज्ञात लोगों के खिलाफ दर्ज किया गया। इसी बीच मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने रजिस्ट्री कार्यालय का निरीक्षण किया और इस मामले की जांच के लिए एक एसआईटी गठित करने के आदेश दिए थे
*इन बिंदुओं की जांच करेगी एसआईटी*
रिकॉर्ड रूम और रजिस्ट्री कार्यालय के सभी दस्तावेज की गहन जांच , दोषी कर्मचारियों को चिह्नित कर उत्तरदायित्व निर्धारित करना, भविष्य में इस तरह की पुनरावृत्ति न हो इस संबंध में सुझाव भी देना, वर्तमान में चल रही पुलिस विवेचना व भविष्य में आपराधिक जांच शुरू होने की स्थिति की निगरानी भी की जाएगी।