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ज्ञानवापी के बाद कृष्ण जन्मभूमि का भी हो एएसआई सर्वे, मथुरा से बीजेपी सांसद हेमा मालिनी ने उठाई मांग

नई दिल्ली। वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के एएसआई सर्वेक्षण को इलाहाबाद हाईकोर्ट से हरी झंडी मिल गई है। अदालत ने अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी (मुस्लिम पक्ष) की याचिका पर अपना आदेश सुनाया, जिसमें वाराणसी जिला अदालत द्वारा भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को यह निर्धारित करने के लिए सर्वेक्षण करने के निर्देश को चुनौती दी गई थी कि क्या ज्ञानवापी मस्जिद एक मंदिर पर बनाई गई थी। फैसला सुनाते समय, इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने इस बात पर जोर दिया कि ‘न्याय के हित में वैज्ञानिक सर्वेक्षण आवश्यक है.’ इस फैसले पर मथुरा से भाजपा सांसद हेमा मालिनी ने प्रतिक्रिया देते हुए कृष्ण जन्मभूमि के भी वैज्ञानिक सर्वेक्षण की बात कही।

हेमा मालिनी ने कहा, ‘अच्छा है…सर्वे होना ही चाहिए. इसका डिसीजन जल्द से जल्द होना चाहिए, पूरे देश के लिए अच्छा है। कृष्ण जन्मभूमि का भी सर्वे होना चाहिए। जल्दी से जल्दी सब क्लीयर होना चाहिए। फैसला जल्द से जल्द आना चाहिए अन्यथा बातचीत होती रहेगी। अगर अंतिम निर्णय जल्द आता है तो यह देश के लिए अच्छा होगा.’ इधर मुस्लिम पक्ष इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने पर विचार कर रहा है। अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी हाई कोर्ट के फैसले का अध्यन कर सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकीलों से चर्चा कर रही है। गौरतलब है कि इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इंतजामिया कमेटी की ASI सर्वे पर रोक लगाने की याचिका खारिज करते हुए वाराणसी जिला अदालत के 21 जुलाई 2023 के आदेश को बरकरार रखा।

उच्च न्यायालय ने इससे पहले दोनो पक्षों को सुनने के बाद 28 जुलाई को फैसला सुरक्षित रख लिया था। ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के एएसआई सर्वेक्षण की अनुमति देने वाले इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले पर वरिष्ठ वकील हरिशंकर जैन ने कहा, ‘वहां मौजूद कई सबूत हैं जो कहते हैं कि यह एक हिंदू मंदिर था. एएसआई सर्वेक्षण से तथ्य सामने आएंगे। मुझे यकीन है कि मूल शिवलिंग को वहां मुख्य गुंबद के नीचे छिपा दिया गया है। इस सच्चाई को छिपाने के लिए, उन्होंने (मुस्लिम पक्ष) बार-बार आपत्ति जताई है। वे जानते हैं कि इसके बाद यह मस्जिद नहीं रहेगी और वहां एक भव्य मंदिर के निर्माण का रास्ता साफ हो जाएगा।

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