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अफगानिस्तान: बम धमाके से फिर दहला काबुल का गुरुद्वारा

काबूल। अफगानिस्तान की राजधानी काबुल एक फिर धमाके से दहल गई है। इस बार काबुल में बुधवार को करता परवन गुरुद्वारे के पास बम धमाका हुआ है। एक महीने पहले ही इस पवित्र स्थान पर इस्लामिक स्टेट (आईएस) के आतंकियों ने हमला किया था, जिसमें कई लोग मारे गए थे। इस हमले के बारे में भारतीय वर्ल्ड फोरम के अध्यक्ष पुनीत सिंह चंडोक ने बताया, ‘हिंदू और सिख समुदायों के सदस्यों के सुरक्षित होने की सूचना है। हालांकि अधिक जानकारी की प्रतीक्षा है।’

पिछले माह हुई थी हमला

इस्लामिक स्टेट खुरासान प्रांत (आईएसकेपी) ने पिछले माह गुरुद्वारा पर हमला किया था, जिसमें कई सिख और तालिबानी मारे गए थे। अफगानिस्तान में सिख समुदाय सहित अल्पसंख्यक समुदाय आतंकियों के निशाने पर है।

तालिबान ने सुरक्षा का किया था वादा

अफगानिस्तान में अगस्त, 2021 में तालिबान के सत्ता में आने के बाद नागरिकों की सुरक्षा देने का वादा किया था, लेकिन देश में लगातार हो रहे आतंकवादी हमले न सिर्फ इस दावे की पोल खोल रहे हैं बल्कि यह देश में फिर से आतंकवादी गतिविधियों के शुरू होने की अंतरराष्ट्रीय समुदाय की चिंताओं को बढ़ा रहा है।

क्या कहते हैं विशेषज्ञ

जानकारों का मानना है कि इस प्रकार के हमले देश में आतंकवाद की नई लहर को हवा दे सकते हैं। इस प्रकार के हमले करने वाले छोटे-छोटे समूहों को देश के अंदर से ही समर्थन प्राप्त हो रहा है। जानकार ये भी मानते हैं कि अमेरिका और पश्चिमि देशों को युद्धग्रस्त देश के दोबारा निर्माण में शामिल नहीं होने के पीछे का मुख्य कारण यही हमले हैं।

देश में कितने हैं हिंदू और सिख

पिछले साल अफगानिस्तान की सत्ता पर तालिबान के अधिग्रहण से पहले देश में हिंदू और सिख समुदाय के लोगों की संख्या मात्र 600 के करीब थी। कई रिपोर्टों के मुताबिक,अफगानिस्तान में हिंदू और सिख अल्पसंख्यक समुदाय की संख्या में लगातार कमी दर्ज की जा रही है। देश में जितने भी अल्पसंख्यक समुदाय के लोग बचे हैं, उन्हें मुख्य रूप से सुन्नी कट्टरपंथी समूहों के द्वारा निशाना बना कर हमले का सामना करना पड़ रहा है। देश में हिंदू और सिख अल्पसंख्यकों पर हमले होने से वे सभी लोग जो आर्थिक और सामाजिक रूप से मजबूत हैं। देश छोड़कर जा सकते हैं

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