आयुष्मान योजना के लड़खड़ाने का खतरा: अस्पतालों का 40 करोड़ से अधिक रुका
देहरादून। राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण में मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) न होने से अस्पतालों का 40 करोड़ से अधिक का भुगतान रुक गया है। सप्ताह भर में भुगतान की व्यवस्था चरमरा गई है। इससे योजना के लड़खड़ाने की आशंका बनी हुई है। प्राधिकरण के अध्यक्ष डी के कोटिया का इस्तीफा और मुख्य कार्यकारी अधिकारी अरुणेंद्र चौहान की विदाई का कारण अभी भी रहस्य बना हुआ है। ये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का डीम प्रोजेक्ट है और उत्तराखंड लाभार्थियों को उपचार देने व अस्पतालों को भुगतान दिलाने में देश में अव्वल भी रहा।
अपर सचिव अरुणेंद्र सिंह चौहान से सीईओ का पदभार हटाने से शासन की ओर से अभी तक नये सीईओ की तैनाती आदेश जारी नहीं किए गए। वहीं, डीके कोटिया के इस्तीफे के बाद अध्यक्ष का पद भी खाली पड़ा है।
प्रदेश में केंद्र सरकार की प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना और राज्य अटल आयुष्मान योजना राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण के माध्यम से संचालित की जा रही है।
प्राधिकरण के एक्ट के अनुसार स्वास्थ्य विभाग अपर सचिव के पास ही सीईओ का कार्यभार देने की व्यवस्था है। हाल ही में सरकार ने अपर सचिव अरुणेंद्र सिंह चौहान से स्वास्थ्य महकमा हटाया गया था। इस पर चौहान ने 8 जुलाई को शासन को पत्र लिख कर सीईओ पद छोड़ दिया था। इसके साथ ही प्राधिकरण के अध्यक्ष डी के कोटिया ने भी कार्यकाल पूरा होने से पहले पद से इस्तीफा दे दिया। वर्तमान में प्राधिकरण में सीईओ व अध्यक्ष दोनों ही पद खाली है। सूत्रों की मानें तो सख्ती के कारण प्राधिकरण शुरू से निजी अस्पतालों की डॉक्टर/संचालक लाबी के निशाने पर रही है।
राज्य में आयुष्मान योजना के तहत इलाज करने वाले सूचीबद्ध अस्पतालों को क्लेम का भुगतान एक सप्ताह के भीतर किया जाता है। सीईओ के हस्ताक्षर से अस्पतालों को भुगतान होता है। लेकिन सीईओ न होने के कारण
अस्पतालों का भुगतान रुका हुआ है। बताया जाता है कि 40 करोड़ की भुगतान राशि लंबित है।
*योजना में 241 अस्पताल सूचीबद्ध*
आयुष्मान योजना में कार्ड धारकों के इलाज के लिए कुल 241 अस्पताल सूचीबद्ध हैं। इसमें 102 सरकारी और 139 निजी अस्पताल शामिल हैं। अब तक 8.10 लाख कार्ड धारकों का योजना में मुफ्त इलाज किया गया। इसमें सरकार ने 1516 करोड़ रुपये की राशि खर्च की है।