छोटे बच्चों में ऐसे दिखते हैं दिल की बीमारी के लक्षण, चेतावनी के इन संकेतों को न करें इग्नोर
नई दिल्ली। दिल की बीमारी सिर्फ वयस्कों में ही नहीं देखी जाती, बल्कि शिशुओं और छोटे बच्चे दोनों में कार्डियेक रोग विकसित हो सकता है। बच्चों में कुछ जन्मजात हृदय दोष मामूली होते हैं, जिसके लिए इलाज की ज़रूरत नहीं होती है। वहीं, कुछ ऐसे रोग भी होते हैं, जो बच्चों के लिए जानलेवा साबित हो सकते हैं और उनका इलाज ज़िंदगी भर चलता है। जिन बच्चों में जन्मजात दिल की बीमारी होती है, उनका पता पैदा होने के साथ ही चल जाता है। हालांकि, अगर आपके भी बच्चे हैं, तो आपको भी बच्चों में दिखने वाले लक्षणों के बारे में पता होना चाहिए।
गर्भावस्था के पहले छह हफ्तों के दौरान, भ्रूण का दिल आकार लेना शुरू कर देता है और धड़कने लगता है। गर्भ के इस महत्वपूर्ण समय के दौरान हृदय तक पहुंचने और चलने वाली प्रमुख रक्त वाहिकाएं भी विकसित होने लगती हैं। योगदान करने वाले कारकों में आनुवंशिकी, कुछ चिकित्सीय स्थितियां, कुछ दवाएं और धूम्रपान जैसे पर्यावरणीय कारक शामिल हो सकते हैं। गंभीर जन्मजात हृदय दोषों का अक्सर बच्चे के जन्म से पहले या बाद में निदान कर लिया जाता है।
पीडियाट्रिक्स एक्वायर्ड हृदय रोग जन्म के बाद विकसित होता है। जिसमें रूमैटिक हार्ट डिज़ीज़, कावासाकी डिज़ीज़, दिल की मांसपेशियों में सूजन आना, हृदय ताल की समस्या आदि शामिल होता है।
बच्चों में दिल की बीमारी के चेतावनी के संकेत और लक्षण
- दिल की बीमारी न सिर्फ बच्चों की विकास प्रक्रिया को प्रभावित करती है, बल्कि यह जानलेवा जटिलताएं भी पैदा कर सकती है। अगर बच्चे में ये 5 चेतावनी के संकेत और लक्षण दिखते हैं, तो पेरेंट्स को फौरन मेडिकल मदद लेनी चाहिए ताकि, समय पर टेस्ट और डायग्नोसिस हो सके।
- सांस का फूलना और जल्दी थक जाना या कमज़ोर महसूस करना।
- त्वचा का पर्पल या फिर ग्रे-ब्लू का होना जैसे होंठों, म्यूकस मेम्ब्रेन और नाखूनों का रंग बदलना।
- दिल की धड़कन, तेज़ दिल की धड़कन, चक्कर आना और बार-बार बेहोशी जो दिल की लय की समस्याओं के कारण हो सकती है।
- इसके अलावा छाती में दर्द भी एक लक्षण है। हालांकि, समान लक्षण वाले वयस्क रोगियों की तुलना में बाल रोगियों में सीने में दर्द का हृदय दोष के रूप में निदान होने की संभावना कम होती है।
- हृदय रोग विशेषज्ञों द्वारा पाई गई अनियमित हृदय ध्वनियां, जिसमें असामान्य लक्षण भी शामिल हैं।
- इन लक्षणों के अलावा, जिन बच्चों में हृदय संबंधी दिक्कते होती हैं, खासतौर पर हार्ट फेलियर, तो उनमें सांस से जुड़ी तकलीफें, भूख कम लगना, विकास भी कम होना आदि समस्याएं दिखती हैं।