उत्तराखण्डकरिअर

उत्तराखंड विधानसभा सचिवालय के 228 कर्मी रहेंगे बर्खास्त: हाईकोर्ट

एकल पीठ ने दिए थे पुनः ज्वानिंग कराने के आदेश

नैनीताल। उत्तराखंड हाईकोर्ट की खंडपीठ ने विधानसभा सचिवालय से बर्खास्त 228 कर्मचारियों के बर्खास्तगी के आदेश को सही माना है। पूर्व में एकलपीठ ने विधानसभा अध्यक्ष के इस आदेश पर रोक लगा दी थी। विधानसभा सचिवालय से बर्खास्त कर्मचारियों को एकलपीठ द्वारा बहाल किए जाने के आदेश को चुनौती दिए जाने वाली विधानसभा द्वारा दायर विशेष अपीलों पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायधीश विपिन सांघी व न्यायमुर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने एकलपीठ के आदेश को निरस्त करते हुए विधानसभा द्वारा पारित आदेश को सही ठहराया है। कोर्ट ने कहा कि बर्खास्तगी के आदेश को स्टे नहीं किया जा सकता।
विधानसभा सचिवालय की तरफ से कोर्ट में कहा गया कि इन कर्मियों की नियुक्ति काम चलाऊ व्यवस्था के लिए की गई थी। शर्तों के मुताबिक, बिना किसी कारण व नोटिस के इनकी सेवाएं कभी भी समाप्त की जा सकती हैं। इनकी नियुक्तियां विधानसभा सेवा नियमावली के विरुद्ध जाकर की गई हैं।
वहीं, कर्मचारियों की ओर से कहा गया था कि उनको बर्खास्त करते समय विधानसभा अध्यक्ष द्वारा संविधान के अनुच्छेद 14 का पूर्ण रूप से उल्लंघन किया है। अध्यक्ष द्वारा 2016 से 2021 तक के कर्मचारियों को ही बर्खास्त किया गया है जबकि ऐसी ही नियुक्तियां विधानसभा सचिवालय में 2000 से 2015 के बीच में भी हुई हैं, जिनको नियमित भी किया जा चुका है। यह नियम सब पर एक समान लागू होना चाहिए था।अपनी बर्खास्तगी के आदेश को बबिता भंडारी, भूपेंद्र सिंह बिष्ट, कुलदीप सिंह व 102 अन्य ने एकलपीठ में चुनौती दी थी। याचिकाओं में कहा गया था कि विधानसभा अध्यक्ष द्वारा लोकहित को देखते हुए उनकी सेवाएं 27, 28 व 29 सितंबर को समाप्त कर दी। उन्हें किस आधार पर और किस कारण से हटाया गया इसका बर्खास्तगी आदेश में कहीं उल्लेख नहीं किया गया और न ही उन्हें सुना गया। जबकि उनके द्वारा सचिवालय में नियमित कर्मचारियों की भांति कार्य किया गया है। कर्मचारियों का कहना था कि एक साथ इतने कर्मचारियों को बर्खास्त करना लोकहित नहीं है और यह आदेश विधि विरुद्ध है।
कर्मचारियों का कहना था कि उमा देवी बनाम कर्नाटक राज्य का निर्णय उनपर लागू नहीं होता क्योंकि यह नियम वहां लागू होता है जहां पद खाली न हों और बैकडोर नियुक्तियां की गई हों। यहां पद खाली थे तभी नियुक्तियां हुईं। विधानसभा सचिवालय में 396 पदों पर बैक डोर नियुक्तियां 2002 से 2015 के बीच में भी हुई हैं, जिनको नियमित किया जा चुका है फिर उनको किस आधार पर बर्खास्त किया गया।याचिका में कहा गया है कि 2014 तक हुई तदर्थ रूप से नियुक्त कर्मचारियों को चार वर्ष से कम की सेवा में नियमित नियुक्ति दे दी गई, लेकिन उन्हें 6 वर्ष के बाद भी स्थायी नहीं किया और अब उन्हें हटा दिया गया। पूर्व में भी उनकी नियुक्ति को 2018 में जनहित याचिका दायर कर चुनौती दी गयी थी, जिसमें कोर्ट ने उनके हित में आदेश देकर माना था कि उनकी नियुक्ति वैध है। उसके बाद एक कमेटी द्वारा उनके सभी शैक्षणिक प्रमाण पत्रों जांच हुई जो वैध पाई गई जबकि नियमानुसार 6 माह की नियमित सेवा करने के बाद उन्हें नियमित किया जाना था।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button