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क्या पानी पीने से भी हो सकता है हाई ब्लड प्रेशर? अध्ययन में चौंकाने वाली बात सामने आई, आप भी जानिए

नई दिल्ली: शरीर को स्वस्थ रखने के लिए सभी लोगों को रोजाना पर्याप्त मात्रा में पानी पीते रहने की सलाह दी जाती है। पानी पीने से डिहाइड्रेशन से बचे रहने के साथ शरीर को कार्य करने के लिए पर्याप्त मात्रा में ऊर्जा मिलती है।

डॉक्टर्स बताते हैं कि शरीर में पानी की कमी के कारण कई तरह की दिक्कतें हो सकती हैं। इसके कारण सिरदर्द, थकान, चक्कर आने जैसी समस्या होना काफी सामान्य है। पर क्या पानी के सिर्फ फायदे ही हैं या फिर इसके भी कुछ साइड-इफेक्ट्स हो सकते हैं? पानी के साइड-इफेक्ट्स सुनने में जरूर अजीब लग रहा होगा पर हालिया अध्ययन में शोधकर्ताओं ने ऐसी ही एक बड़ी समस्या के बारे में बताया है।

सामान्यतौर पर ब्लड प्रेशर बढ़ जाने पर लोगों को पानी पीने की सलाह दी जाती है, पर क्या आप जानते हैं कि पानी हाइपरटेंशन यानी कि हाई ब्लड प्रेशर का कारण भी बन सकती है। हाइपरटेंशन में प्रकाशित अध्ययन में वैज्ञानिकों ने बताया है कि कुछ स्थितियों में पानी हाइपरटेंशन का कारण बन सकती है। पानी में कुछ रसायन पाए गए हैं, जो उच्च रक्तचाप के जोखिम को बढ़ा देते हैं। आइए इस बारे में जानते हैं।

पानी में बढ़ी रसायनों की मात्रा

यूनाइटेड स्टेट्स स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ़ मिशिगन के शोधकर्ताओं ने बताया कि जिस तरह से मानव निर्मित रसायनों की मात्रा बढ़ती जा रही है, ऐसे में यह भोजन, पानी और हवा को दूषित करते जा रहे हैं। पॉलीफ्लूरोकाइल सब्स्टांस (पीएफएएस) और पेरफ्लूरोकाइल जैसे रसायनों का आसानी से ब्रेकडाउन नहीं हो पाता है, जो मध्यम आयु वर्ग की महिलाओं में हाई ब्लड प्रेशर के जोखिम को बढ़ा सकते हैं।

विशेषज्ञों का कहना है कि इस खतरे को ध्यान में रखते हुए सभी लोगों को स्वच्छ जल और वायु को लेकर विशेष सतर्कता दिखाने की जरूरत होती है।

पॉलीफ्लूरोकाइल सब्स्टांस के बारे में जानिए

पॉलीफ्लूरोकाइल सब्स्टांस (पीएफएएस)  मुख्यरूप से  सौंदर्य प्रसाधन, व्यक्तिगत देखभाल के उत्पादों जैसे शैंपू, शेविंग क्रीम, नॉन-स्टिक बर्तन और घरेलू सामान जैसे खाना पकाने की आवश्यक चीजों में पाए जाते हैं। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के विशेषज्ञों का कहना है कि ये सब्स्टांस पानी के साथ पर्यावरण में लंबे समय तक मौजूद रह सकते हैं। ऐसे में अस्वच्छ जल का सेवन आपमें हाइपरटेंशन सहित कई तरह की समस्याओं को बढ़ा सकता है। 

अध्ययन में क्या पता चला?

इस अध्ययन के लिए  विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने 45-56 आयु वर्ग की 1000 से अधिक महिलाओं के डेटा का विश्लेषण किया। इनके स्वास्थ्य पर वैज्ञानकों ने लगभग 20 साल तक नजर रखी। अध्ययन की शुरुआत में सभी प्रतिभागियों का रक्तचाप सामान्य था। हालांकि साल 2017 में अध्ययन के अंत में इनमें से 470 महिलाओं में हाई बीपी की समस्या देखी गई। शोधकर्ताओं ने पाया कि जिन जिन महिलाओं के रक्त में पीएफएएस का स्तर अधिक था उनमें उच्च रक्तचाप का खतरा 71 प्रतिशत ज्यादा पाया गया।

क्या कहते हैं शोधकर्ता?

मिशिगन विश्वविद्यालय में महामारी और पर्यावरण विज्ञान के एक सहायक प्रोफेसर और अध्ययन के वरिष्ठ लेखक सुंग क्यून पार्क कहते हैं, पीएफएएस के कारण होने वाले स्वास्थ्य जोखिमों को लेकर वर्षों से चर्चा की जाती रही है। इससे होने वाले खतरे को देखते हुए कुछ देशों ने खाद्य पैकेजिंग और कॉस्मेटिक्स उत्पादों में पीएफएएस के उपयोग पर प्रतिबंध लगाने का भी ऐलान किया है। हमारे निष्कर्ष से स्पष्ट होता है कि सामान्य उत्पादों में पीएफएएस के उपयोग को सीमित करके हाइपरटेंशन के बढ़ते विश्वव्यापी खतरे को काफी हद तक कम किया जा सकता है। 

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