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वैशाख महीने का कब है प्रदोष व्रत? जानें पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

हिंदू पंचांग के अनुसार, हर माह में दो बार त्रयोदशी तिथि पड़ती है। एक शुक्ल पक्ष में और एक कृष्ण पक्ष में। प्रत्येक माह की दोनों त्रयोदशी तिथि भगवान भोलेनाथ को समर्पित है। इस दिन भगवान भोलेनाथ के भक्त विधि-विधान से व्रत रखते हैं और पूजा-अर्चना करते हैं। धार्मिक मान्यता है कि इस व्रत को करने शिवीजी प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों का जीवन सुख-शांति और समृद्धि से भर देते हैं। जो भी जातक नियम और निष्ठा से प्रदोष व्रत रखता है उसके सभी कष्टों का नाश होता है। त्रयोदशी तिथि के दिन प्रदोष काल में माता पार्वती और भगवान भोलेशंकर की पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, त्रयोदशी तिथि के दिन प्रदोष काल में की गई भगवान शिव की पूजा कई गुना ज्यादा फलदायी होती है। तो चलिए आज जानते हैं वैशाख माह में प्रदोष व्रत कब है और इसके महत्व के बारे में…

गुरु प्रदोष व्रत 2022 तिथि

वैशाख के महीने में कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी 28 अप्रैल को है। 28 अप्रैल को बृहस्पतिवार का दिन होने की वजह से इसे गुरु प्रदोष व्रत कहा जाएगा। इस दिन प्रदोष मुहूर्त में पूजा की जाती है। 

गुरु प्रदोष व्रत 2022 मुहूर्त

वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 28 अप्रैल को रात्रि 12 बजकर 23 मिनट पर प्रारंभ हो रही है, जो 29 अप्रैल की रात 12 बजकर 26 मिनट तक है।   उदयातिथि की मान्यता के अनुसार, प्रदोष व्रत 28 अप्रैल को रखा जाएगा। इस दिन पूजा का मुहूर्त शाम 06 बजकर 54 मिनट से रात 09 बजकर 04 मिनट तक है। 

गुरु प्रदोष व्रत एवं पूजा विधि

गुरु प्रदोष व्रत वाले दिन प्रात: स्नान आदि करके साफ कपड़े पहन लें। इसके बाद भोलेनाथ को याद करके व्रत एवं पूजा का संकल्प करें। फिर शाम के शुभ मुहूर्त में किसी शिव मंदिर जाकर या घर पर ही भगवान भोलेनाथ की विधिपूर्वक पूजा करें।

पूजा के दौरान शिवलिंग को गंगाजल और गाय के दूध से स्नान कराएं। उसके बाद सफेद चंदन का लेप जरूर लगाएं। भगवान भोलेनाथ को अक्षत, बेलपत्र, भांग, धतूरा, शमी का पत्ता, सफेद फूल, शहद, भस्म, शक्कर आदि अर्पित करें। इस दौरान ओम नमः शिवाय मंत्र का उच्चारण करते रहें।

इस दिन पश्चात शिव चालीसा, गुरु प्रदोष व्रत कथा का पाठ करें। घी का दीपक जलाएं और शिव जी की आरती करें। इसके बाद पूजा का समापन क्षमा प्रार्थना से करते हुए शिवजी के सामने अपनी मनोकामना व्यक्त कर दें।

इसके अगले दिन सुबह स्नान आदि के बाद फिर से शिव जी की पूजा करें। फिर सूर्योदय के बाद पारण करें। इस दिन विधि-विधान से शिवजी की पूजा करने से भगवान भोलेनाथ एक आशीर्वाद मिलता है।

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