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यूपी विधान परिषद की 27 सीटों पर मतदान आज, मुकाबलों में सपा-भाजपा-सपा आमने-सामने

लखनऊ : विधान परिषद की स्थानीय प्राधिकारी क्षेत्र की 27 सीटों के चुनाव में अधिकांश सीटों पर भाजपा और समाजवादी पार्टी के बीच सीधा मुकाबला है। वहीं प्रतापगढ़, वाराणसी और आजमगढ़ में निर्दलीय भी भाजपा का गणित बिगाड़ सकते हैं। परिषद में बहुमत हासिल करने के लिए भाजपा ने अधिक से अधिक सीटें जीतने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है।

परिषद की स्थानीय प्राधिकारी क्षेत्र की 36 सीटों पर हो रहे चुनाव में से भाजपा ने 9 सीटें निर्विरोध जीती है। शेष 27 सीटों के लिए शनिवार को मतदान होगा। भाजपा ने हर सीट पर एक प्रदेश पदाधिकारी और प्रदेश सरकार के एक मंत्री को प्रभारी तैनात किया है। पार्टी ने मतदाताओं को ए, बी और सी श्रेणी में बांटा है। हर सीट के मतदाताओं से चार से पांच चरण में अलग-अलग स्तर से संपर्क किया गया है। सी श्रेणी में उन मतदाताओं को रखा गया है जो भाजपा के खिलाफ हैं।

पार्टी के मानक के अनुसार सी श्रेणी में शामिल मतदाताओं का मत हासिल करने के लिए पार्टी ने हर स्तर पर रणनीति तैयार की है। 27 में से 24 सीटों पर भाजपा का सीधा मुकाबला सपा के उम्मीदवारों से है। हालांकि कुछ जगह सपा और भाजपा के बागी भी चुनाव लड़ रहे हैं। लेकिन, आजमगढ़, प्रतापगढ़ और वाराणसी में निर्दलियों ने मुकाबले को रोचक बना दिया है।वाराणसी सीट पर भाजपा के सुदामा सिंह पटेल का मुकाबला माफिया ब्रजेश सिंह की पत्नी अन्नपूर्णा सिंह से है। ब्रजेश ने भी निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में नामांकन किया था, लेकिन उन्होंने अपना नामांकन वापस ले लिया। ब्रजेश इस सीट से परिषद सदस्य रहे हैं। प्रतापगढ में भाजपा ने हरिप्रताप सिंह को उम्मीदवार बनाया है। प्रतापगढ़ से निर्दलीय उम्मीदवार अक्षय प्रताप सिंह से उनकी टक्कर है। अक्षय प्रताप सिंह जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के अध्यक्ष एवं विधायक राजा भैया के करीबी हैं। हालांकि अक्षय प्रताप सिंह को हथियार लाइसेंस में फर्जी पता देने के आरोप में न्यायालय ने सात वर्ष की सजा सुनाई है। लेकिन, उनके नामांकन स्वीकार होने के बाद सजा मिलने के कारण वह मैदान में बने हुए हैं। प्रतापगढ़ की ग्राम पंचायतों में प्रधान, क्षेत्र पंचायत सदस्य, क्षेत्र पंचायत प्रमुख और जिला पंचायत में राजा भैया के करीबियों की संख्या अधिक होने के कारण अक्षय प्रताप सत्तारुढ़ दल को टक्कर दे रहे हैं।

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