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तेजी से बढ़ रही है जोड़ों में दर्द-सूजन की यह समस्या, जानिए लक्षण से लेकर बचाव तक सबकुछ

आर्थराइटिस, जिसे गठिया के रूप में भी जाना जाता है, यह वैश्विक स्तर पर तेजी से बढ़ती गंभीर समस्याओं में से एक है। आंकड़ों के मुताबिक देश में 18 करोड़ से अधिक लोग किसी न किसी प्रकार की गठिया की समस्या से परेशान हैं। आर्थराइटिस, जोड़ों में दर्द और सूजन की स्थिति है जिसके कारण लोगों के लिए दिनचर्या के सामान्य कार्यों को करना तक भी कठिन हो जाता है। आर्थराइटिस के शिकार लोगों के लिए चलना, दौड़ना और सीढ़ियां चढ़ना काफी कष्टकारक होता है। वैसे तो आर्थराइटिस कई प्रकार के होता है, लेकिन इसमें ऑस्टियोआर्थराइटिस सबसे आम है। गाउट और रुमेटीइड आर्थराइटिस भी इसी का एक प्रकार है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक 60 वर्ष से अधिक आयु के लोगों में गठिया की समस्या काफी सामान्य है, पर यह अब कम उम्र के लोगों में भी बढ़ती देखी जा रही है।

आर्थराइटिस के बढ़ते खतरे को कम करने और इस बारे में लोगों की जागरूकता को बढ़ाने के उद्देश्य से हर साल 12 अक्तूबर को वर्ल्ड आर्थराइटिस डे मनाया जाता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, कम उम्र के लोगों में भी आर्थराइटिस का जोखिम बढ़ता हुआ देखा जा रहा है, ऐसे में इस जोखिम को हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए।

आर्थराइटिस जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित करने वाली स्थिति है, इससे बचाव के लिए सभी उम्र के लोगों को ध्यान देते रहने की आवश्यकता है। लाइफस्टाइल में गड़बड़ी, विशेषतौर पर सेंडेंटरी लाइफस्टाइल को आर्थराइटिस के प्रमुख कारक के तौर पर देखा जा रहा है। आइए आर्थराइटिस के लक्षणों, कारणों और इससे बचाव के लिए क्या किया जाना चाहिए, इस बारे में आगे विस्तार से जानते हैं।

आर्थराइटिस की समस्या और इसका जोखिम

आर्थराइटिस, जोड़ों को प्रभावित करने वाली समस्या है। इसमें जोड़ों में और उसके आसपास दर्द, जकड़न, लालिमा और सूजन हो जाती है। आमतौर पर आर्थराइटिस को सिर्फ पैरों के घुटने की समस्या के तौर पर जाना जाता है, हालांकि यह हाथों यहां तक कि उंगलियों के जोड़ों को भी प्रभावित कर सकती है। गठिया के लक्षण धीरे-धीरे या अचानक विकसित हो सकते हैं और व्यक्ति की रोजमर्रा के कार्यों को करने की क्षमता को कम कर देते हैं। आर्थराइटिस के कुछ रोगियों के लिए कुछ दूर चलना तक भी कठिन हो जाता है।

वैसे तो इसे उम्र बढ़ने के साथ होने वाली समस्याओं के तौर पर जाना जाता है, हालांकि कई लोगों में 40 से कम आयु में भी गठिया की दिक्कत देखी गई है, ऐसे में इसके जोखिमों को लेकर सावधानी बरतते रहना चाहिए।

आर्थराइटिस के क्या लक्षण हैं, इसकी पहचान कैसे करें?

गठिया के लक्षण अलग-अलग लोगों में अलग प्रकार के हो सकते हैं। कुछ लोगों में यह समस्या धीरे-धीरे बढ़ती है जबकि कुछ को अचानक से ही दिक्कतें होनी शुरू हो जाती हैं। डॉक्टर्स का कहना है कि गठिया में कुछ लक्षणों पर विशेष ध्यान देते रहने की आवश्यकता होती है, अगर आपमें कुछ समय से इस तरह की समस्याएं बनी हुई हैं तो इस बारे में किसी डॉक्टर से सलाह जरूर ले लेनी चाहिए।

  • जोड़ों में दर्द की समस्या बने रहना।
  • जोड़ों में कठोरता, पैरों को हिलाने में भी कठिनाई महसूस होना।
  • जोड़ों में सूजन और इसके आसपास लालिमा की समस्या।
  • थोड़ी दूर चलने या सीढ़ियां चढ़ने तक में कठिनाई होना।

सुबह उठने पर, डेस्क पर बैठे रहने के बाद उठने या लंबे समय तक कार में बैठने के बाद इस तरह के लक्षण अधिक महसूस हो सकते हैं। यदि जोड़ों को हिलाना या कुर्सी से उठना कठिन या दर्दकारक महसूस हो रहा है, तो यह गठिया का संभावित संकेत हो सकता है।

आर्थराइटिस की समस्या के कारण

स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, आर्थराइटिस की समस्या के कई कारण हो सकते हैं, जिसके बारे में सभी लोगों को जानते हुए अपने जोखिम कारकों के आधार पर बचाव के उपाय करते रहने चाहिए। डॉक्टर्स कहते हैं, उम्र बढ़ने और लाइफस्टाइल में गड़बड़ी के अलावा, घुटनों में चोट के कारण भी इसके विकसित होने का खतरा हो सकता है। गठिया के लिए अनुवांशिकता को भी एक कारक माना जाता है, यदि आपके परिवार में किसी को आर्थराइटिस की समस्या रह चुकी है तो आपमें भी इसके विकसित होने का जोखिम हो सकता है। 

इसके अलावा प्रतिरक्षा प्रणाली में दिक्कत और शारीरिक निष्क्रियता भी गठिया के विकसित होने का एक संभावित कारण हो सकती है, जिसके बारे में लोगों को सावधानी बरतते रहने की आवश्यकता होती है। 

आर्थराइटिस का इलाज और बचाव के तरीके

गठिया की समस्या को जड़ से ठीक नहीं किया जा सकता है। उपचार के माध्यमों से दर्द को नियंत्रित करने, जोड़ों की क्षति को कम करने के साथ दैनिक कार्य और जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने का प्रयास किया जाता है। इसके लिए दवाइयों के साथ जोड़ों को आराम दिलाने के लिए थेरेपी को भी प्रयोग में लाया जाता है।

स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, आर्थराइटिस के जोखिमों को ध्यान में रखते हुए कम उम्र से ही सभी लोगों को इससे बचाव के उपाय करते रहने चाहिए। गठिया से बचाव के लिए वजन को नियंत्रित रखना सबसे आवश्यक माना जाता है। वजन कम करने से आपकी गतिशीलता बढ़ सकती है और जोड़ों से अतिरिक्त दबाव को कम किया जा सकता है। इसके अलावा नियमित व्यायाम जोड़ों को लचीला बनाए रखने में मदद करते हैं। 

नियमित वॉक, तैराकी या साइकिलिंग के अभ्यास को घुटनों को स्वस्थ रखने और भविष्य में गठिया के जोखिमों को कम करने वाला माना जाता है। जोड़ों के चोट को गंभीरता से लें और विशेषज्ञ से इसका इलाज कराएं, ये भी गठिया के खतरे को विकसित कर सकते हैं।

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