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पाकिस्तान में बंदी सैनिकों को वापस लाने की मांग पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई के लिए हुआ तैयार

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट बुधवार को एक सैन्य अधिकारी की पत्नी की उस याचिका पर सुनवाई के लिए तैयार हो गया जिसमें 1971 के युद्ध के बाद पाकिस्तान द्वारा युद्धबंदियों (पीओडब्ल्यू) के रूप में अवैध रूप से हिरासत में रखे गए उनके पति और अन्य सैन्य अधिकारियों को वापस लाने की मांग की गई है। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस सूर्यकांत की पीठ ने मेजर कंवलजीत सिंह की पत्नी जसबीर कौर की याचिका पर केंद्र को नोटिस जारी कर तीन सप्ताह में जवाब मांगा है। मेजर सिंह को युद्धबंदियों में शामिल माना जाता है।कथित युद्धबंदी मेजर कंवलजीत सिंह की पत्नी ने दाखिल की है याचिकायाचिका में केंद्र को उचित न्यायिक उपायों के साथ पाकिस्तान के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय न्यायालय का दरवाजा खटखटाने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है। याचिका के मुताबिक पाकिस्तान की यातनापूर्ण हिरासत में मौजूद भारतीय युद्धबंदियों की रिहाई के लिए ‘युद्धबंदियों के लिए जिनेवा संधि’ के तहत ये न्यायिक उपाय अनिवार्य और बाध्यकारी प्रकृति के हैं। याचिका में केंद्र को कारगिल युद्ध के दौरान पाकिस्तान द्वारा कैप्टन सौरभ कालिया को पकड़ने, प्रताडि़त करने और हत्या करने की परिस्थितियों में सेना के नियमों के अनिवार्य प्रविधानों के तहत कोर्ट आफ इंक्वायरी की कार्यवाही पेश करने का निर्देश देने की भी गुहार लगाई गई है।

इस दौरान गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि मैं एनडीआरएफ, वायु सेना, आईटीबीपी, सेना, जिला प्रशासन के सभी प्रतिनिधियों को बधाई और धन्यवाद देता हूं क्योंकि यह एक बहुत ही कठिन ऑपरेशन था जिसे उन्होंने धैर्यपूर्वक अंजाम दिया। इतने कम समय में इतने सारे एजेंसियों ने अच्छे तालमेल के साथ कम से कम नुकसान के साथ ऑपरेशन को अंजाम दिया।

दरअसल, देवघर में त्रिकुट पहाड़ियों पर रविवार को रोप-वे की ट्रॉलियां टकराने के कारण हादसा हो गया था। इसके बाद 60 से अधिक पर्यटक 46 घंटे से अधिक समय तक केबल कारों में फंसे रहे थे। पर्यटकों को बचाने के लिए भारतीय वायुसेना, सेना, भारत-तिब्बत सीमा पुलिस, एनडीआरएफ और जिला प्रशासन के संयुक्त दलों ने अभियान चलाया था। हादसे में तीन लोगों की मौत भी हो गई थी।

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