उत्तराखण्डधर्म-संस्कृति

मौलाना जहूर की खिदमात को भुलाया नहीं जा सकताः कासमी

देहरादून। मौलाना जहूर अहमद कासमी की खिदमात को कभी भुलाया नहीं जा सकता, वह एक आलीम-ए-दीन ही नहीं, मजाहिरूल उलूम में तफसीर के बड़े उस्ताद भी थे, उन्होंने हमेशा जमीयत उलेमा ए हिंद के बैनर तले कौम और मिल्लत की खिदमत का परचम बुलंद किए रखा। यह बात गुरुवार को मदरसा दार-ए-अरकम आजाद कॉलोनी में मौलाना जहूर अहमद को खिराज-ए-अकिदत पेश करने के लिये आयोजित किये गये इजलास में जमीअत के प्रदेश सचिव मौलाना अब्दुल मन्नान ने कही। उन्होने कहा कि एक आलिम का दुनिया से जाना एक आलम के जाने के बाराबर है, मगर हर किसी को इस दारे फानी से जाना है। इस मौके पर जमीअत के प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य मोहम्मद शाह नज़र ने कहा कि मौलाना जहूर आखरी वक्त तक आमजनमानस की सेवा के लिये कार्य करते रहे। ऐसी कामिल शख्सियत की कमी हमेशा खलेगी। उन्होने कहा कि आप का दुनिया से जाना पूरी मिल्लत के लिये खसारा है। इस मौके पर कुरआन की तिलावत के बाद खिराज-ए-अकिदत पेश कर दुआ की गई। इस अवसर पर जिला उपाध्यक्ष मास्टर अब्दुल सत्तार, शहर अध्यक्ष मुफ्ती राशिद कासमी, मुफ्ती अयाज अहमद जामई, कारी मोहम्मद अहसान, मौलाना अब्दुल वाजिद, मौलाना शाबान, कारी शाहवेज़, मौलाना अबू बकर, मौलाना सोहेल मलिक, कारी इरफान व मास्टर मोहसिन आदि मुख्य रूप से उपस्थित रहे।

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