भारतीय जुडोका लिन्थोई चनंबम ने रचा इतिहास, कैडेट विश्व चैंपियनशिप में भारत को पहला स्वर्ण पदक
त्बिलिसी: साल 2019 के अंत में शुरू हुआ कोरोना पूरी दुनिया में तेजी साल 2021 तक पूरी दुनिया में फैल गया था। साल 2021 मार्च में जूडो इंटरनेशनल ग्रैंड प्रिक्स टूर्नामेंट का आयोजन जॉर्जिया की राजधानी त्बिलिसी में आयोजित की गई थी लेकिन कोरोना के मामले तेजी से फैलने के कारण देश में लॉकडाउन लगा दिया गया जिससे टूर्नामेंट को रद्द करना पड़ा और सबकुछ बंद हो गया।
इस दौरान हिस्सा ले रहे कई खिलाड़ी वहीं पर फंस गए जिनमें से भारत के भी कुछ खिलाड़ी शामिल थे। इनमें भारत की 13 साल की मणिपुर की जूडो की खिलाड़ी लिन्थोई चनंबम अपनी साथी खिलाड़ी देव थापा और जसलीन सैनी के साथ वहीं पर थी लेकिन न हाथ में पैसे थे और न ही फोन जिससे भारत में अपने माता-पिता से बात की जाए।लिन्थोई चनंबम को पता नहीं था कि वह अपने देश कब लौटेगी। बता दें कि वह 8 महीने तक जॉर्जिया में रहीं थी और फिर वापस अपने देश लौटी थी।
साल 2022 में रच दिया इतिहास
जूडो खिलाड़ी लिन्थोई चनंबमन ने इस साल इतिहास रच दिया है। महज 15 साल की चनंबम ने बोस्निया-हर्जेगोविना के साराजेवो में वर्ल्ड कैडेट जूडो चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीत देश का नाम रौशन कर दिया है। बता दें कि चनंबमन वर्ल्ड चैंपियनशिप में मेडल जीतने वाली भारत की पहली जुडोका हैं। उन्होंने ब्राजील की बियांका रेस को हराकर 57 किलोग्राम कैटेगरी में गोल्ड हासिल किया है। लिन्थोई चनंबमन का जन्म मणिपुर के इंफाल में एक किसान परिवार में हुआ था। खेल की प्रेरणा उन्हें अपने चाचा से मिली। इससे पहले भी लिन्थोई चनंबम ने गोल्ड जीता है। चनंबम ने नेशनल कैडेट जूडो चैंपियनशिपमें गोल्ड मेडल जीता था वहीं एशिाय-ओशिनिया कैडेट जूडो चैंपियनशिप में ब्रॉन्ज मेडल हासिल किया था।