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गोरखनाथ मंदिर में सिपाहियों पर हमला किसी बड़ी साजिश की ओर कर रही इशारा, जांच शुरू

गोरखपुर। गोरखनाथ मंदिर के मुख्य द्वार पर जिस तरह से रविवार को सिपाहियों पर हमला हुआ, वह बड़ी साजिश की तरफ इशारा कर रहा है। सिपाहियों पर ऐसे ताबड़तोड़ हमले किए गए, जैसे कि जान लेने के इरादे से आए हैं। अपराधी घटना के जरिए कोई बड़ा संदेश देना चाहते थे। दूसरी तरफ, मंदिर की सुरक्षा में तैनात सिपाहियों पर हमले की खबर मिलते ही पुलिस अफसर मौके पर दौड़ पड़े। गोरखपुर से लखनऊ तक अफसरों के मोबाइल फोन घनघनाने लगे थे। मुख्यमंत्री कार्यालय से पूरी घटना की जानकारी ली गई है।

गोरखनाथ मंदिर की सुरक्षा में तैनात सिपाहियों पर हमले के बाद मंदिर की सुरक्षा का एसएसपी डॉ विपिन ताड़ा ने जायजा लिया है। साथ ही सुरक्षा व्यवस्था और सख्त कर दी। हर आने-जाने वाले की जांच की गई, फिर मंदिर परिसर में जाने दिया गया।

जानकारी के मुताबिक, गोरखनाथ मंदिर पहले से ही आतंकी निशाने पर रहा है। प्रमुख धार्मिंक स्थल होने के साथ ही मुख्यमंत्री का आवास भी है। लिहाजा, सुरक्षा के कड़े इंतजाम रहते हैं।रोजाना सुबह-शाम चेकिंग भी की जाती है। इसी वजह से हमलावर को गोरखनाथ मंदिर अंदर दाखिल होते ही दबोच लिया गया। मंदिर सुरक्षा ड्यूटी के एसपी ने घटना के कुछ देर पहले ही मंदिर सुरक्षा की रुटीन चेकिंग भी की थी। गोरखनाथ मंदिर के दूसरे सभी गेट शाम में बंद ही रखा जाता है, यही वजह है कि आरोपी मुख्य गेट से प्रवेश करने की कोशिश कर रहा था।

आरोपी0 बोला, मैं चाहता था पुलिस मार दे गोली

जिला अस्पताल में भर्ती कराए गए आरोपी ने खुद का नाम अहमद मुर्तजा अब्बासी बताया है। उसने यह भी बताया है कि वह गोरखपुर के सिविल लाइंस का ही रहने वाला है। जबकि, शुरुआती पूछताछ में कुछ और ही बात सामने आ रही थी। बताया जा रहा था कि मुंबई से आया है। पुलिस ने पूछताछ की तो आरोपी ने बताया था कि नौकरी छूटने से परेशान था और इसी वजह से सोचा कि पुलिस पर हमला करुंगा तो उसे मार देगी। यही वजह है कि पुलिस पर उसने हमला किया। लेकिन, उसका यह बयान किसी के गले के नीचे नहीं उतर रहा है।

इस वजह से लग रही साजिश

आरोपी का यह कहना कि वह चाहता था कि पुलिस उसे गोली मार दे, अगर यह सही है तो वह गोरखनाथ मंदिर ही क्यों गया? मंदिर के ठीक सामने ही थाना है, वहां भी पुलिस कर्मी रहते हैं।सिर्फ पुलिस से मरना ही उसकी चाहत थी तो एक हमले के बाद वह शांत हो जाता, उसने सिपाहियों पर ताबड़तोड़ कई वार क्यों किए? फिर मंदिर परिसर में जाने के लिए पुलिसकर्मियों को निशाना बनाने की कोशिश क्यों की?घटनास्थल से मिले बैग से एक और बांका मिला है। एक बांका हमलावर के हाथ में था। लैपटॉप, पैन ड्राइव भी मिली है। यह गैर इरादतन कैसे हो सकता है?अगर उसे पुलिस के हाथों मरना ही था तो पकड़े जाने से पहले तक बचने की कोशिश क्यों की?मौजूद पुलिस वालों ने एक और आरोपित के होने की आशंका जताई है? आखिर वह कौन था?

12 साल बाद गोरखनाथ मंदिर में हुई आपराधिक घटना
इसके पहले वर्ष 2010 में गोरखनाथ मंदिर परिसर में स्थित भीम सरोहर ताल के पास 2010 में विस्फोट होने पर सनसनी फैल गई थी। हालांकि, जांच के बाद यह पता चला था कि वह दिवाली वाला बम था।

मंदिर की सुरक्षा बढ़ाना अभी प्रस्तावित
अयोध्या, काशी और मथुरा के मंदिरों की तरह ही गोरखनाथ मंदिर की सुरक्षा व्यवस्था अभेद करने का प्रस्ताव तो तैयार है, लेकिन अभी शासन की ओर से अनुमति नहीं मिल पाई है। गोरखनाथ मंदिर के लिए एक एसपी का पद तो सृजित कर तैनाती कर दी गई है, लेकिन कमांडो और अन्य व्यवस्था होनी अभी बाकी है। कुछ महीनों पहले गोरखनाथ मंदिर व सीएम आवास की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर नई योजना बनाई गई है। इसमें सुरक्षा को हाईटेक करने के साथ वर्तमान व्यवस्था में बदलाव करना है। एडीजी अखिल कुमार के आदेश और उनकी निगरानी में तत्काली एसएसपी रहे दिनेश कुमार प्रभु ने योजना तैयार करके शासन को भेजा था, लेकिन उस पर पूरी तरह से अमल नहीं हो पाया है।

नौ वाच टावर से होती है निगरानी
मंदिर परिसर में नौ वॉच टावर हैं। इसकी संख्या बढ़ाकर 14 की जानी है। टॉवर पर तैनात पुलिसकर्मियों आधुनिक असलहों से लैस हैं। अभी परिसर व उसके आसपास 100 सीसी टीवी कैमरे लगे हैं।

ऐसी है गोरखनाथ मंदिर की सुरक्षा व्यवस्था

  • बम निरोधक दस्ता स्थायी तौर पर तैनात है
  • सुरक्षा में एक प्लाटून पीएसी बल है
  • 875 पुलिस और सुरक्षा के लोग तैनात हैं
  • गेट पर स्कैनर लगा है, जांच के बाद ही प्रवेश मिलता है।
  • सुरक्षा की मानीटरिंग के लिए कंट्रोल रूम बना है
  • गोरखपुर शुरू से आतंकियों के निशाने पर रहा है। 1993 में मेनका टॉकिज में बम ब्लास्ट हुआ था। 2007 के दौरान शहर के सबसे व्यस्ततम बाजार गोलघर में सीरियल ब्लास्ट ने सबको हिला दिया था। इस ब्लास्ट में पाकिस्तान कनेक्शन भी सामने आया था। लिहाजा, सुरक्षा एजेंसियां सतर्क रहती हैं।
  • पुलिस की गिरफ्त में आए अहमद मुर्तजा अब्बासी ने आईआईटी मुंबई से केमिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है। वह परिवार के साथ मुंबई में ही रहता था। अक्तूबर 2020 से आकर गोरखपुर रहने लगा। परिवार वालों ने पुलिस को बताया कि अहमद मुर्तजा अब्बासी शनिवार को ही घर से निकला था। घर में किसी से ज्यादा बात नहीं करता था। अपने कमरे से भी बहुत कम निकलता था।
  • सिपाहियों के शरीर पर गंभीर घाव के निशान
  • सिपाहियों के गंभीर चोटों की जो तस्वीरें सामने आई हैं, उसे देखकर किसी की भी रुह कांप जाए। हाथ, पैर, पीठ पर कई जगह घाव के गंभीर निशान हैं। घाव काफी गहरे हैं। खबर है कि सिपाहियों का मेजर ऑपरेशन कर घाव पर टांके लगाए गए हैं। घायल सिपाही गोपाल 2016 और अनिल पासवान 2019 बैच के हैं।

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