Uncategorizedदेशराजनीति

सत्येंद्र जैन और उनके दोस्त के ठिकानों पर ईडी का छापा, नकदी व सोना बरामद

नई दिल्ली: दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन की मुसीबत बढ़ती जा रही है। सोमवार को उनके व उनके सहयोगियों के परिसरों पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने छापामारी की। इस दौरान ईडी ने 2.82 करोड़ की अघोषित नकदी व 1.80 किग्रा सोना बरामद किया है।

ईडी ने मंगलवार को बताया कि सोमवार को दिनभर चली यह कार्रवाई पीएमएलए के तहत की गई थी। इस बरामदगी के बाद दिल्ली सरकार और मुख्य विपक्षी भाजपा में घमासान बढ़ गया है। भाजपा नेता कपिल मिश्रा ने कहा कि सीएम केजरीवाल इन्हें (सत्येंद्र जैन) पद्मश्री देने की बात कर रहे थे। केजरीवाल के हिसाब से ये ईमानदार हैं। सत्येंद्र जैन का भ्रष्टाचार सिर्फ झलक है। असली चेहरा तो कोई और है।

केजरीवाल ने पीएम पर लगाया आरोप

दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने ईडी की कार्रवाई पर बयान दिया है। उन्होंने सत्येंद्र जैन व उनके करीबियों के परिसरों पर छापेमारी के लिए प्रधानमंत्री पर आरोप लगाया है। उन्होंने ट्वीट कर कहा, ”इस वक्त प्रधानमंत्री जी पूरी ताकत के साथ आम आदमी पार्टी के पीछे पड़े हैं – खासकर दिल्ली और पंजाब सरकारों के। झूठ पे झूठ, झूठ पे झूठ। आपके पास सारी एजेन्सीज की ताकत है, पर भगवान हमारे साथ है।”

जैन के खिलाफ ईडी ने सीबीआई द्वारा दायर की गई एक एफआईआर के आधार पर आपराधिक केस दर्ज किया था। एफआईआर में उल्लेख किया गया था कि सत्येंद्र जैन उन चार कंपनियों द्वारा प्राप्त धन के स्रोत की जानकारी नहीं दे पाए जिनमें वो शेयरहोल्डर हैं। जैन पर आरोप हैं कि उन्होंने दिल्ली में कई फर्जी कंपनियों को लॉन्च किया या खरीदा था। उन्होंने कोलकाता के तीन हवाला ऑपरेटरों की 54 फर्जी कंपनियों के माध्यम से 16.39 करोड़ रुपये के काले धन को भी सफेद किया था।

जैन के पास प्रयास, इंडो और अकिंचन नाम की कंपनियों में बड़ी संख्या में शेयर थे। रिपोर्ट्स के अनुसार, 2015 में केजरीवाल सरकार में मंत्री बनने के बाद जैन के सभी शेयर उनकी पत्नी के नाम कर दिए गए थे। इन कंपनियों का प्रयोग कोलकाता की कंपनियों को नकद पैसे भेजने के लिए किया जाता था और बाद में शेयर खरीदने के नाम पर कानूनी रूप से जैन को पैसे वापस कर दिए जाते थे। कथित तौर पर इनके माध्यम से जैन ने 2010 से 2014 तक 16.39 करोड़ रुपये के काले धन को सफेद किया है।

सरकारी सूत्रों के अनुसार, इस मामले में जब आयकर विभाग द्वारा मुकदमा चलाया गया तो जैन ने दो फर्जी खाताधारकों (वैभव जैन और अंकुश जैन) के नाम पर जमा 16.39 करोड़ रुपये को ‘आय प्रकटीकरण योजना (आईडीएस), 2016’ के तहत नकदी के रूप में सरेंडर कर दिया।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button