कांग्रेस ने चारधाम यात्रा की खामियों पर सरकार को घेरा
देहरादून। उत्तराखंड विधानसभा के बजट सत्र में चारधाम यात्रा में जारी अव्यवस्था व खामी को लेकर कांग्रेस ने भाजपा सरकार पर प्रहार किए। बुधवार को देर सांय तक बजट पर पक्ष-विपक्ष के विधायकों ने अपनी अपनी बात कही। लगभग 7 बजे सदन की कार्यवाही 16 जून सुबह 11 बजे तक स्थगित कर दी गई। बजट पर 16 जून को भी चर्चा जारी रहेगी।
प्रश्नकाल की शुरुआत में ही नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने नियम 310 के तहत इस मुद्दे पर चर्चा की मांग उठाई। लेकिन स्पीकर ऋतु खंडूड़ी ने नियम 58 के तहत विपक्ष की मांग पर चर्चा कराए जाने का भरोसा दिया। लंच ब्रेक के बाद सदन की कार्रवाई शुरू होते ही नेता विपक्ष यशपाल आर्य, भुवन कापड़ी, राजेन्द्र भंडारी,गोपाल राणा, आदेश चौहान,सुमित ह्र्दटेश, विक्रम नेगी, रविन्द्र जाती ने चारधाम खामी पर सिलसिलेवार शासन-प्रशासन को कठघरे में खड़ा किया।
आर्य ने कहा कि मंत्रियों को चारधाम यात्रा की जिम्मेदारी देने पर भी सवाल उठे। तीर्थयात्रियों की मौत को मोक्ष मिलने की बात कहकर उपहास उड़ाया गया। इससे देवभूमि का अपमान हुआ। सड़क,पेयजल व स्वास्थ्य सेवाओं की कमी का प्रमुखता से उल्लेख किया। कहा कि मौतें देख पीएम कार्यालय को हस्तक्षेप करना पड़ा। आर्य ने NDRF व स्वंय सेवी संस्थाओं के जुटने से सफाई आदि कार्य हुए।
विपक्ष ने कहा कि राज्य सरकार के अधिकारियों की विफलता की वजह से केंद्र सरकार को पहली बार हस्तक्षेप करना पड़ा। राष्ट्रीय आपदा प्राधिकरण के सदस्य राजेन्द्र सिंह ने ऋषिकेश पहुंचकर व्यवस्था को लेकर गहरी नाराजगी जताई थी।सीएम पुष्कर सिंह धामी
कांग्रेस विधायकों ने एक स्वर में यात्रियों के रजिस्ट्रेशन की गलत प्रणाली के चक्कर में कई तीर्थयात्रियों को बिना दर्शन के वापस लौटने पर मजबूर होना पड़ा। कांग्रेस विधायक सुमित ह्रदयेश ने तो चारधाम यात्रा के ऑनलाइन कार्य से जुड़ी एक गुजराती कंपनी की परफार्मेन्स की जांच की भी मांग की।
कांग्रेस विधायकों ने सदन में अव्यवस्था, रजिस्ट्रेशन, यात्रियों व घोड़ों खच्चरों की मौत, रुद्रनाथ मरण तीर्थयात्रियों से वन विभाग की ओर से वसूली किये जाने पर पीठ का ध्यान खींचा। पैदल रूट की दुर्दशा का भी प्रमुखता से सवाल उठा। बद्रीनाथ में बड़े बड़े मॉल बनाने पर भी विधायक भुवन कापड़ी ने सवाल उठाए। यही नहीं घोड़ों व तीर्थयात्रियीं के लिए अलग अलग ट्रैक बनाने की भी मांग की।
चारधाम रूट पर लगभग 140 घोड़ों खच्चरों की मौत के लिए भी पशुपालन विभाग को जिम्मेदार ठहराया। सरकार प्रत्येक घोड़े खच्चरों के मालिक से 150 रुपए प्रतिदिन लेते हैं । सरकार को प्रतिदिन 15 लाख रुपए राजस्व मिलते हैं। लेकिन इन जानवरों के उपचार व खाने पीने की कोई व्यवस्था नहीं होती। यही नहीं 150 के लगभग तीर्थयात्रियों की मौत के लिए स्वास्थ्य विभाग व यात्रा के दौरान हेल्थ चेकअप की व्यवस्था पर भी सवाल उठाए।
संसदीय कार्यमंत्री प्रेम चंद्र अग्रवाल चारधाम ओर सरकार का बचाव करते नजर आए। उन्होंने कहा कि चारधाम पर चर्चा के लिए दिये पत्र में कांग्रेस के 17 विधायकों ने हस्ताक्षर किए थे लेकिन सिर्फ कुछ विधायकों ने ही अपनी बात कही। इससे उनकी गंभीरता पता चलती है।